सुबह की चाय से लेकर सोने के लिए चारपाई तक का देना होगा लेखा-जोखा, आयोग के साथ विरोधी की भी होगी नजर
बेतिया : विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के द्वारा जो खर्च किया जायेगा, वह तो उनके खाते में जुड़ेगा ही, कार्यकर्ताओं के लिए की जाने वाली चाय-नाश्ता की व्यवस्था का खर्च भी प्रत्याशी के ही खाते में जुड़ेगा.
बेतिया : विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के द्वारा जो खर्च किया जायेगा, वह तो उनके खाते में जुड़ेगा ही, कार्यकर्ताओं के लिए की जाने वाली चाय-नाश्ता की व्यवस्था का खर्च भी प्रत्याशी के ही खाते में जुड़ेगा. दूसरे शब्दों में कहें तो प्रत्याशी के हर पल के खर्च पर आयोग की नजर रहेगी.
जानकारी के अनुसार इसके लिए हर प्रत्याशी के साथ निर्वाचन अधिकारी की टीम भी तैनात रहेगी. व्यय लेखा एवं अनुश्रवण कोषांग के पदाधिकारी की मानें तो अभ्यर्थी के हर खर्च का हिसाब रखा जाएगा. हालांकि, जिला निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के चुनाव खर्च के लिए विभिन्न मदों में रेट की सूची अभी जारी नहीं की गई है. लेकिन यह रेट लिस्ट इस तरीके से तय की जाएगी कि सुबह की एक चाय से लेकर रात को सोने के लिए चारपाई तक का किराया उसमें जुड़ेगा.
बताया जाता है कि इसके लिए हर प्रत्याशी को खर्च के लिए एक रजिस्टर भी दिया जाएगा, जिसमें उसे मतदान के दिन का पूरा खर्च लिखकर निर्वाचन अधिकारी से वेरिफाई करना होगा. कोरोना काल में नए गाइडलाइन के अनुसार इस बार वर्चुअल सभा भी प्रत्याशी करेंगे. ऐसे में उनके नेट और मोबाइल बिल का खर्च भी प्रचार के खर्च में जुड़ेगा.
प्रत्याशियों के कार्यालय पर कार्यकर्ताओं को आराम कराने का खर्चा भी तय किया जाएगा. कार्यालय में एलसीडी टीवी, सामियाना, कुर्सी, दरी, पलंग, तख्ती, तिरपाल, सीलिग फैन, टयूबलाइट सेट, हैलोजन सेट, माइक सेट आदि जो भी सामान लगेगा उन सभी के लिए रेट तय होगा। उसी रेट के हिसाब से प्रत्याशियों को खर्च का ब्योरा देना होगा. यहीं नहीं, कार्यालय में लगने वाला झाड़ू से लेकर पानी पीने के गिलास तक का खर्च प्रत्याशी के खाते में जोड़ा जाएगा.
हालांकि, इस बार चुनाव प्रचार में प्रत्याशियों के साथ गाड़ियों की कतार नहीं रहेगी. फिर भी, जो गाड़ियां उनके साथ चलेंगी उनके इंधन का खर्च प्रत्याशियों को संभाल कर रखना होगा. इस दौरान अगर वे लग्जरी वाहनों का प्रयोग करते हैं तो प्रत्याशियों को अच्छा खासा खर्च करना होगा. बताया जाता है कि प्रत्याशी अगर बीएमडब्ल्यू से प्रचार करते हैं या पजेरो या फॉर्च्यूनर का प्रयोग करते हैं तो उसके लिए अलग-अलग रेट देना होगा. यही नहीं, प्रत्याशियों की प्रचार के लिए निकली गाड़ियां कितना किलोमीटर चलीं, इसका हिसाब भी उन्हें देना पड़ेगा.
posted by ashish jha