कोइलवर. समस्याओं का बोझ इतना बढ़ जाता है कि महिला अपनी जिंदगी को बोझिल समझने लगती हैं, लेकिन कई महिलाएं इतनी साहसी होती हैं, जो कि घर की चौखट को लांघ कर कुछ अलग सोचने लगती हैं.
जिले के कोइलवर प्रखंड के चांदी गांव में रहनेवाली सुरभि सिंह आज मशरूम की उत्पादक बन गयी हैं, जो इसे धंधे के रूप में अपना कर जीविकोपार्जनका आधार बना लिया है. दरअसल आज वह न सिर्फ आत्मनिर्भर बन गयी हैं, बल्कि वह आज मशरूम की खेती कर बड़े उत्पादक बन गयी हैं.
सुरभि सिंह इस क्षेत्र में आने से पहले सुरभि प्राइवेट कंपनी व निजी विद्यालयों में काम करके ऊब चुकी थीं. क्योंकि समय का बंधन व कम मेहनताना मिलता था. जहां से वे निकल सबसे पहले 2015 में पूसा (समस्तीपुर) में जाकर मशरूम उत्पादन करने का प्रशिक्षण लिया.
इसके बाद मशरूम उत्पादन में जुट गयीं. उस प्रशिक्षण के बाद भी सुरभि सिंह ने 2016 में पीएनबी आरसेटी कोइलवर में पूर्ण रूप से मशरूम उत्पादन के प्रशिक्षण में कई विधियों को जाना और इसमें रोजगार की तलाश करने लगे.
शुरुआत के दिनों में पांच बैग से मशरूम उत्पादन शुरू किया, जो अब एक सौ बैग तक पहुंच गया. हालांकि उस समय ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण शुरू-शुरू में इसका बाजार बहुत ही कम था. जिससे उसके फायदे के बारे में बताते हुए दो महीने तक लोगों को फ्री में मशरूम दिया.
साथ ही खाने की विधि भी बतायी. जिसके बाद उनका यह व्यवसाय धीरे-धीरे शुरू हुआ और प्रतिदिन दो सौ रुपये से शुरू कर आज वह महीने में 30 से 40 हजार रुपये कमा रही हैं.
मशरूम का स्पर्म सिलिगुड़ी से खरीद कर मंगाया जाता है. जिस कमरे में मशरूम का बैग लगाया गया है. उस कमरे का तापमान एवं सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है.
अधिक तापमान एवं गंदगी रहने से मशरूम के सड़ने का खतरा बढ़ जाता है. भोजपुर का जलवायु में उतार-चढ़ाव होने के कारण नवंबर से फरवरी के महीने तक बटन मशरूम का उत्पादन होता है. वहीं ऑस्टर मशरूम की खेती पूरे साल होती है.
Posted by Ashish Jha