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लालू प्रसाद से 11 साल पहले MLA बने थे रामविलास, सियासी सफर में कभी मीठा तो कभी तीखा रहा रिश्ता

Lalu prasad yadav RJD and Ram vilas paswan latest news : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में इस बार जेपी आंदोलन के दो बड़े नेता नहीं दिखेंगे. इनमें एक लोजपा के संस्थापक रहे रामविलास पासवान और दूसरा राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव हैं. एक ओर जहां रामविलास पासवान का कल देहांत हो गया, वहीं लालू यादव चारा घोटाले में रांची के जेल मेंं बंद है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 9, 2020 2:20 PM

Bihar Election Update : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में इस बार जेपी आंदोलन के दो बड़े नेता नहीं दिखेंगे. इनमें एक लोजपा के संस्थापक रहे रामविलास पासवान और दूसरा राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव हैं. एक ओर जहां रामविलास पासवान का गुरुवार को निधन हो गया, वहीं लालू यादव चारा घोटाले में रांची के जेल मेंं बंद है. 45 साल में ऐसा पहली बार होगा, जब बिहार राजनीतिक के ये दो बड़े नेता जनता के बीच नहीं रहेंगे

बिहार राजनीति में लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान जेपी आंदोलन से उभरे थे, लेकिन दोनों के बीच कई बार तल्खियां भी आई तो कई बार दोनों साथ रहे. रामविलास पासवान पहली बार 1969 मेंं सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव जीतकर एमएलए बने थे, वहीं लालू यादव 1977 में सीधे लोकसभा पहुंचे. आइए जानते हैं दोनों के राजनीतिक सफर को.

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जेपी का ‘उम्मीदवार’ रामविलास

डीएसपी की नौकरी छोड़ राजनीति में आए रामविलास पासवान के राजनीतिक करियर 1977 के बाद ऊंचाइयों पर पहुंचने लगा. 1977 मेंं रामविलास पासवान हाजीपुर से लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरे. जेपी ने उन्हें खुद उतारा था. उसी समय जनता पार्टी ने वरिष्ठ नेता रामसुंदर दास को उम्मीदवार बना दिया. जनता पार्टी के इस फैसले से जेपी इस कदर नाराज हो गए कि उन्होंने एक पर्चे पर लिखवा भेजा

जेपी ने अपने पर्चे में लिखा, ‘जनता पार्टी का उम्मीदवार कौन है? ये मुझे नहीं पता, लेकिन जेपी का उम्मीदवार रामविलास पासवान है.’ जेपी के इस पर्चे के बाद जनता पार्टी ने रामसुंदर दास का टिकठ वापस ले लिया. रामविलास पासवान की राजनीतिक करियर इसके बाद आगे ही बढ़ता गया. हालांकि 2009 का चुनाव अपवाद है, जब उनकी पार्टी लोजपा न तो लोकसभा और न ही विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की.

वहीं लालू यादव पिछले 45 सालों से बिहार की राजनीति में सक्रिय हैं, चारा घोटाले के जुर्म में पिछले करीब ढाई साल से ज्यादा समय से जेल में रहते हुए भी वे बिहार की राजनीति के केन्द्र में हैं. लालू यादव का राजनीति में प्रवेश 1960 में हुआ, शिवानन्द तिवारी ने उन्हें राजनीति में आने का मौका दिया.

उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा और 1977 में छपरा से सांसद बने और मार्च 1990 में उन्होंने पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया. लालू यादव 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं. कभी इंदिरा गांधी का विरोध कर शिखर तक का सफर तय करने वाले लालू यादव कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए 1 में देश के रेल मंत्री भी रहे. रेलमंत्री रहने के दौरान उन्होंने भारतीय रेलवे को घाटे से उबारा.

Posted by : Avinish kumar mishra

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