सत्ता की ललक में कई पूर्व आइपीएस और प्रशासनिक पदाधिकारी लगा रहे टिकट की दौड़
अब इसे सत्ता में आने की ललक कहा जाये या समाजसेवा की इच्छा. बात चाहे जो भी हो, लेकिन हकीकत ऐसी है कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कई पूर्व आइपीएस व पूर्व आइएएस अधिकारी विभिन्न पार्टियों से टिकट पाने की दौड़ लगा रहे हैं.
अनिकेत त्रिवेदी , पटना : अब इसे सत्ता में आने की ललक कहा जाये या समाजसेवा की इच्छा. बात चाहे जो भी हो, लेकिन हकीकत ऐसी है कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कई पूर्व आइपीएस व पूर्व आइएएस अधिकारी विभिन्न पार्टियों से टिकट पाने की दौड़ लगा रहे हैं. हाल में ही वीआरएस लेकर राजनीति में आये पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की चर्चा हो रही है, लेकिन गुप्तेश्वर पांडेय अकेले पूर्व आइपीएस अधिकारी नहीं हैं, जिनके चुनाव लड़ने के कयास लगाये जा रहे हैं. इस बार उन्हीं के बैचमेट रहे पूर्व आइपीएस अधिकारी व पूर्व डीजी सुनील कुमार भी जदयू का दामन थाम चुके हैं. अब चर्चा यह है कि वो भी इस बार चुनाव लड़ेंगे़ जानकार मानते हैं कि प्रशासनिक अधिकारियों का राजनीति से पुराना नाता रहा है़ हालांकि, अभी पार्टियों की तरफ से टिकट मिलने की कहानी बाकी है. लेकिन, राजनीति संभावनाओं और कयास का ही खेल है.
टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय लड़ गये चुनाव
संसद में लाने की प्रबल इच्छा ऐसी रही कि किसी पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर पूर्व आइपीएस अशोक कुमार गुप्ता ने निर्दलीय ही पटना साहिब से चुनाव लड़ लिया था़ तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा़ लेकिन, इस बार वो राजद का दामन थाम चुके हैं. ऐसे में उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है़ इसके अलावा डीजीपी रहे केएस द्विवेदी की भी भागलपुर से इस बार चुनाव लड़ने की चर्चा है़ वहीं पूर्व आइएएस अधिकारी राघव शरण पांडेय के बगहा से दोबारा चुनाव लड़ने के कयास लगाये जा रहे हैं. वहीं, ट्रैफिक में काम लेकर चर्चा में आये पुलिस अधिकारी श्रीधर मंडल ने भी राजद का दामन थामा है़ वो भी चुनाव लड़ सकते हैं.
कई रह चुके हैं मंत्री
वर्तमान में प्रशासनिक अधिकारी रहे आरके सिंह भोजपुर के सांसद व केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं. इसके अलावे पूर्व आइपीएस ललित विजय सिंह ने भी चुनाव लड़ा था़ वो भी केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. वहीं मीरा कुमार को हराने वाले पूर्व आइएएस मुन्नी लाल भी केंद्र में मंत्री रह चुके हैं. पूर्व आइपीएस डीपी ओझा भी एक बार माले के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली थी़
posted by ashish jha