एनडीए को बिहार की कुर्सी तक पहुंचाने में कोसी व सीमांचल का बड़ा योगदान रहा. सीमांचल की 24 सीटों में से इस बार एनडीए को 12 सीटें मिली. जबकि, कोसी की 13 सीटों में एनडीए को 10 सीटों पर जीत हासिल हुई. इन 37 सीटों में से 22 सीटें एनडीए के खाते में गयीं. पहले से ही उम्मीद लगायी जा रही थी कि इस बार कोसी-सीमांचल की मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण भागीदारी होगी.
सरकार की कैबिनेट में कुछ ऐसा ही दिखा. भाजपा कोटे से सीमांचल के कटिहार सीट से जीतनेवाले तारकिशोर प्रसाद उप मुख्यमंत्री बने, तो कोसी की सुपौल सीट से लगातार आठवीं बार जीत दर्ज करानेवाले विजेंद्र प्रसाद यादव भी मंत्री बनाये गये हैं. विजेंद्र यादव पिछली सरकार में भी ऊर्जा मंत्री थे. हालांकि, जानकारों की मानें तो कोसी व सीमांचल के कुछ और विधायकों को मंत्री पद का इनाम मिल सकता है.
इस बार के विधानसभा चुनाव में एनडीए व महागठबंधन के बीच जबर्दस्त टक्कर देखने को मिला. कांटे के इस टक्कर में तीसरे चरण का चुनाव महत्वपूर्ण था. राजनीतिक समीक्षकों का भी मानना था कि कोसी व सीमांचल में जिस गठबंधन को अधिक सीटें मिलेगी, उनके लिए सत्ता की कुर्सी तक पहुंचना आसान होगा. शायद यही कारण रहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोसी व सीमांचल में पार्टी प्रत्याशी के लिए सभा की तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव प्रचार के दौरान मधेपुरा में रात में भी रुके. बाद में जब परिणाम आया तो इन 37 सीटों में से एनडीए ने 22 सीटों पर जीत दर्ज की.
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अररिया की सात सीटों में एनडीए को चार सीटें मिलीं. इनमें तीन फारबिसगंज,नरपतगंज व सिकटी भाजपा को जबकि रानीगंज में जदयू को जीत मिली. पूर्णिया की सात सीटों में पूर्णिया व बनमनखी सीट भाजपा, जबकि रुपौली व धमदामा विधानसभा सीट पर जदयू प्रत्याशी की जीत हुई. कटिहार में कटिहार, कोढ़ा, प्राणपुर सीट भाजपा को, जबकि बरारी सीट जदयू के खाते में गयी. सुपौल में सुपौल, निर्मली, पिपरा व त्रिवेणीगंज सीट पर जदयू व छातापुर सीट भाजपा के खाते में गयी है. सहरसा में सहरसा सीट बीजेपी व सोनवर्षा व महिषी सीट जदयू के खाते में गयी है. मधेपुरा की आलमनगर व बिहारीगंज विधानसभा सीट जदयू के खाते में गयी है.
Posted by : Thakur Shaktilochan