पटना. नुमालीगढ़ गैस पाइप लाइन परियोजना को लेकर सक्षम प्राधिकार नियुक्त करने के मुद्दे पर बिहार सरकार और नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड के बीच सहमति बन गयी है. रिफाइनरी ने बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के उस प्रस्ताव को मान लिया है, जिसमें इस परियोजना के लिए हर एक जिले में भूमि सुधार उपसमाहर्ता स्तर के पदाधिकारी को सक्षम प्राधिकार बनाने की बात कही गई थी.
इस बात पर सहमति सोमवार को मुख्य सचिव बिहार के कार्यालय कक्ष में हुई बैठक में बनी. बैठक में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह और निदेशक भू–अर्जन सुशील कुमार भी मौजूद थे.
पूर्व में नुमालीगढ़ गैस पाइप लाइन परियोजना के लिए होनेवाले भू–अर्जन के लिए किसी सेवानिवृत अपर समाहर्ता स्तर के अधिकारी को नामित करने की मांग परियोजना के अधिकारियों की तरफ से की गयी थी. हालांकि राजस्व विभाग द्वारा एक्ट का हवाला देकर कार्यरत भूमि सुधार उपसमाहर्ता को सक्षम प्राधिकार बनाने का प्रस्ताव दिया गया था.
जानकारी के मुताबिक भूमिगत पाइप लाइन के लिए भी सरकार की तरफ से रैयतों को मुआवजा दिया जाता है. यह मुआवजा एमवीआर के आधार पर तय किया जाता है. इस मामले में होने वाले किसी भी विवाद को हल करने के लिए सक्षम प्राधिकार की घोषणा सरकार की तरफ से की जाती है.
भू–अर्जन निदेशक सुशील कुमार ने बताया कि जिन जिलों से होकर पाइपलाइन गुजरेगी, वहां के सदर भूमि सुधार उप समाहर्ता को सक्षम प्राधिकार बनाया जायेगा. सक्षम प्राधिकार हरेक तरह के विवाद का समाधान करने के साथ दखल दिलाने मे भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे.
भारत सरकार के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की तरफ से ओड़िशा के पारादीप से असम के नुमालीगढ़ तक 1640 किमी लंबाई में गैस पाइप लाइन बिछायी जानी है. इसमें करीब 200 किमी क्षेत्र बिहार में पड़ता है. बिहार के भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया, अररिया और किशनगंज जिले से यह भूमिगत पाइप लाइन गुजरेगी , जिसके जरिये कच्चे तेल को रिफाइनरी तक ले जाया जायेगा.
Posted by Ashish Jha