Loading election data...

रघुवंश बाबू की बांकीपुर जेल से शुरू हुई लालू प्रसाद यादव से दोस्ती चंद शब्दों में सिमट गयी

पटना : राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक सदस्य रहे रघुवंश प्रसाद सिंह ने गुरुवार को चंद शब्दों में इस्तीफा देते हुए पार्टी नेता, कार्यकर्ता और आमलोगों से क्षमा मांगी है. राजद के सबसे बड़े सवर्ण चेहरे रहे रघुवंश प्रसाद ने अपने इस्तीफे में कहा है कि ''जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक आपके पीठ पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं.'' वहीं, उन्होंने पार्टी नेता, कार्यकर्ता और आमजनों से क्षमा की मांग भी की है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 10, 2020 3:28 PM

पटना : राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक सदस्य रहे रघुवंश प्रसाद सिंह ने गुरुवार को चंद शब्दों में इस्तीफा देते हुए पार्टी नेता, कार्यकर्ता और आमलोगों से क्षमा मांगी है. राजद के सबसे बड़े सवर्ण चेहरे रहे रघुवंश प्रसाद ने अपने इस्तीफे में कहा है कि ”जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 32 वर्षों तक आपके पीठ पीछे खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं.” वहीं, उन्होंने पार्टी नेता, कार्यकर्ता और आमजनों से क्षमा की मांग भी की है.

शिक्षक से बने राजनेता

छह जून 1946 को जनमे रघुवंश प्रसाद मूलरूप से वैशाली जिले के महनार के लावापुर नारायण के पानापुर शाहपुर के रहनेवाले हैं. उन्होंने मुजफ्फरपुर स्थित बिहार यूनिवर्सिटी के एलएस कॉलेज और राजेंद्र कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण की है. गणित में मास्टर की डिग्री लेने के बाद उन्होंने गणित विषय में पीएचडी भी की है. बिहार यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की डिग्री लेने के बाद डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह ने साल 1969 से 1974 के बीच करीब पांच सालों तक सीतामढ़ी के गोयनका कॉलेज में बच्चों को गणित पढ़ाया. शिक्षक आंदोलनों में भाग लेते हुए वह कई बार जेल भी गये. शिक्षक आंदोलन से जुड़‍े होने पर पहली बार 1970 में वह जेल गये थे. रघुवंश बाबू के मुताबिक, वह करीब 11 बार जेल गये. केंद्र और बिहार में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी. जेल में बंद रहने के कारण सरकार ने उन्हें प्रोफेसर के पद से बर्खास्त कर दिया. इसके बाद वह कर्पूरी ठाकुर के संपर्क में आये और राजनीतिक सफर शुरू हो गया.

लालू प्रसाद के माने जाते रहे हैं संकटमोचक

साल 1974 में जेपी मूवमेंट के समय मीसा के तहत गिरफ्तार किये गये रघुवंश प्रसाद को मुजफ्फरपुर जेल में बंद कर दिया गया. बाद में उन्हें पटना के बांकीपुर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया. यहीं लालू प्रसाद यादव से उनकी पहली बार मुलाकात हुई. लालू प्रसाद पटना यूनिवर्सिटी में छात्र नेता थे. बांकीपुर जेल में लालू प्रसाद यादव से मुलाकात के बाद दोस्ती शुरू हुई. रघुवंश प्रसाद को लालू प्रसाद यादव का संकटमोचक माना जाता रहा है. बिहार की पिछड़ों की पार्टी माने जानेवाली पार्टी में वह एक बड़े सवर्ण चेहरे थे. लालू प्रसाद यादव से दोस्ती के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कांग्रेस में शामिल होने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.

राजनीतिक सफर

शिक्षक आंदोलनों में भाग लेते हुए वह कई बार जेल भी गये. शिक्षक आंदोलन से जुड़‍े होने पर पहली बार 1970 में वह जेल गये थे. रघुवंश बाबू के मुताबिक, वह करीब 11 बार जेल गये. केंद्र और बिहार में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी. जेल में बंद रहने के कारण सरकार ने उन्हें प्रोफेसर के पद से बर्खास्त कर दिया. इसके बाद वह कर्पूरी ठाकुर के संपर्क में आये और आगे बढ़ते चले गये. साल 1973 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के आंदोलन के दौरान फिर से जेल चले गये. इसके बाद वह 1973 से 1977 तक वह सीतामढ़ी में रहते हुए संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े रहे. वह पार्टी में सेक्रेटरी भी बने. साल 1977 से 1990 तक वह बिहार विधानसभा के सदस्य रहे. इस दौरान वह 1977 से 1979 तक बिहार सरकार में ऊर्जा राज्य मंत्री रहे. 1980 से 1985 तक सीतामढ़ी जिले में लोकदल के प्रेसिडेंट रहे. 1985-89 तक लोकदल के सेंट्रल पार्लियामेंट बोर्ड के सदस्य रहे. साल 1990 में वह बिहार विधानसभा में डिप्टी स्पीकर बनाये गये. 1991 में वह बिहार विधान परिषद में पहुंचे. यहां 1994 तक वह डिप्टी लीडर रहे. 1994 से 1995 तक वह बिहार विधान परिषद के चेयरमैन रहे. 1995-96 में बिहार सरकार में ऊर्जा, राहत, पुनर्वास और राजभाषा विभाग के मंत्री रहे.

साल 1996 में 11वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित किये गये. साल 1996-97 में केंद्रीय राज्य मंत्री, पशुपालन और डेयरी (स्वतंत्र प्रभार) और साल 1997-98 में खाद्य और उपभोक्ता मामले के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे. साल 1998 में हुए 12वीं लोकसभा चुनाव में दूसरी बार चुने गये. 1998-99 में वह संसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के सदस्यों की समिति के सदस्य रहे. साल 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में तीसरी बार निर्वाचित हुए. इस बार वह 1999-2000 तक लोकसभा में राजद के नेता रहे. साथ ही गृह मामलों की समिति के सदस्य रहे. साल 1999 से 2004 तक सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य रहे.

साल 2004 में चौथी बार चुनाव जीत कर 14वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. साल 2004 से 2009 तक वह केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में ग्रामीण विकास का प्रभार संभाला. साल 2009 में पांचवीं बार लोकसभा के सदस्य चुने गये. इस दौरान वह लोकसभा की विभिन्न समितियों के सदस्य रहे.

परिवार के सदस्यों को रखा राजनीति से दूर

रघुवंश प्रसाद सिंह ने अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति से दूर रखा. दो भाइयों में बड़े रघुवंश प्रसाद के छोटे भाई रघुराज सिंह थे. उनका देहांत हो चुका है. रघुवंश बाबू की धर्मपत्नी जानकी देवी का भी निधन हो चुका है. रघुवंश बाबू को दो बेटे और एक बेटी है. रघुवंश बाबू के दोनों बेटे इंजीनियरिंग करके नौकरी कर रहे हैं. बड़े बेटे सत्यप्रकाश दिल्ली में और छोटा बेटा शशि शेखर हांगकांग में इंजीनियर हैं. उनकी बेटी एक टीवी चैनल में पत्रकार हैं.

Next Article

Exit mobile version