मिथिलेश, पटना: खादी के मोटे सूती कपड़ा का कुर्ता, पायजामा, गाल धंसी हुई और आंखें अंदर, पैर में हवाई चप्पल. युवा रामविलास पासवान(Ram Vilas Paswan) का यह पहनावा और उनकी कद काठी सोशलिस्ट पार्टी के नेताओं को आज भी याद है. उन दिनों कोसी कालेज से पढ़ाइ पूरी कर जब युवा रामविलास पासवान नौकरी खोजने घर से निकले तो उनका चयन डीएसपी पद के लिए हुआ. पर, पासवान की किस्मत में राजनीति करनी लिखी थी़.
परिस्थितियां ऐसी बनी कि डीएसपी के लिए चयनित पासवान अलौली विधानसभा चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बन गये. पिता जामुन पासवान ने पांच सौ रुपये हाथ में देते हुए कहा जाओ डीएपी पद पर ज्वाइन करने के पहले शरीर बनाओ, पर पासवान के यह पैसे चुनाव में खर्च हो गये.
यह 1969 का साल था़ पैसे की तंगी और साधन विहीन पासवान ने साइकिल पर प्रचार किया. किस्मत ने साथ दिया और मेहनत रंग लायी, गाछ सिंबल पर पासवान कुछ सौ मतों से चुनाव जीत गये़ राजनीति में पासवान का यह पहला कदम था़.
इसके बाद वो आग बढते गये़ हालांकि, 1972 में हुए मध्यावधि चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. पर, पासवान रूके नहीं, लोकदल के महासचिव के रूप में, युवा नेता के रूप में छात्र आंदोलन में अपने को खपाये रखा. उन्होंने अपनी एक किताब भी लिखी. किताब बाजार में आने वाली है, जिसमें इन सब चीजों की उन्होंने बेबाक चर्चा की है़.
Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya