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मतदाताओं की चुप्पी से प्रत्याशियों के धड़कनों की बढ़ने लगी रफ्तार, मतदान से पहले की शाम चर्चाओं के बाजार गर्म

लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र के मतदाता तैयार बैठे हैं. संबंधित मतदान केंद्रों पर मतदान कर्मी की आवाजाही तेज हो गयी है. चुनाव प्रचार का शोर थमने के बाद अचानक शांति कायम होने लगी है. अब बस चौक-चौराहे पर चुनावी चर्चा में समर्थकों के बीच अपने-अपने प्रत्याशी के जीत का आंकड़ा अंगुली पर गिनती किये जाने की प्रक्रिया जोर पकड़ने लगी है. इन सब के बीच मतदाताओं की चुप्पी प्रत्याशियों के सुखे गले को ओर अधिक बढ़ा रही है. मतदान से पहले एक-एक पल मानों बैचैनी के साथ बित रहा है. वहीं चुनाव आयोग की सख्ती असामाजिक तत्वों की मंशा पर भी चोट पहुंचाने लगी है.

लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र के मतदाता तैयार बैठे हैं. संबंधित मतदान केंद्रों पर मतदान कर्मी की आवाजाही तेज हो गयी है. चुनाव प्रचार का शोर थमने के बाद अचानक शांति कायम होने लगी है. अब बस चौक-चौराहे पर चुनावी चर्चा में समर्थकों के बीच अपने-अपने प्रत्याशी के जीत का आंकड़ा अंगुली पर गिनती किये जाने की प्रक्रिया जोर पकड़ने लगी है. इन सब के बीच मतदाताओं की चुप्पी प्रत्याशियों के सुखे गले को ओर अधिक बढ़ा रही है. मतदान से पहले एक-एक पल मानों बैचैनी के साथ बित रहा है. वहीं चुनाव आयोग की सख्ती असामाजिक तत्वों की मंशा पर भी चोट पहुंचाने लगी है.

जगह-जगह अर्धसैनिक बलों की चहल कदमी व बूथों की सतत निगेहबानी को देख गड़बड़ी करने वाले लोग अब अपनी हरकतों को नियंत्रित करने के प्रयासरत नजर आ रहे हैं. गुरुवार को दिन भर क्षेत्र के सभी पंचायतों में विभिन्न प्रत्याशियों के समर्थकों की टोली कहीं बाइक से तो कहीं चार चक्का वाहनों के काफिला के साथ अंतिम जोर लगाते दिखे. खासकर मुख्यालय में मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रत्याशियों द्वारा मान-मनौव्वल से लेकर कसमे-वादे निभाने का संकल्प लिया गया.

कल तक दूर से भी गरीब व मैले-कुचले लोगों को देख कर लग्जरी वाहनों का शीशा लॉक करने वाले कथित नेताजी की मानों चाल ही बदल गयी थी. कोरोना काल में गंभीर बीमारी की चिंता से बेपरवाह प्रत्याशी व नेताजी खास की कौन कहे, फटे-पुराने व मैला कपड़ा पहने लोगों के पैर भी छूने में मगन थे. वहीं मजदूर वर्ग के लोग मन ही मन नेताजी के बदले रूप को देख मुस्कुरा रहे थे. हालांकि चुनाव प्रचार में सभी प्रत्याशियों ने चुनाव आयोग के निर्देशों को दरकिनार कर मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए खूब जोर लगाया है.

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अब चुनाव परिणाम के बाद ही मतदाताओं के मन की बात का पता चल पायेगा. तब तक जीत व हार का आंकड़ा बस कयासों तक ही सीमित रहेगा. इस बार कुल 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में डटे हुए हैं. एनडीए व महागठबंधन के साथ ही लोजपा व निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव प्रचार में पूरी ताकत दिखाने से पीछे नहीं रहे.

Posted by: Thakur Shaktilochan

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