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किस्सा नेताजी का: जब मुलायम सिंह यादव हुए मेहरबान तो पहली बार बेटों से मिले राजा भैया, दिलचस्प है वाकया

कुछ दिनों पहले राजा भैया ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात करके उन्हें जन्मदिन की बधाई भी दी थी. उसी समय से राजा भैया के ‘सपा प्रेम’ के कयास लगने तेज हो गए. वहीं, अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए राजा भैया को पहचानने से इंकार किया था.

By Prabhat Khabar News Desk | December 9, 2021 1:36 PM
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UP Election 2022: उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबलियों का नाम हमेशा सुर्खियां बटोरता है. ऐसे ही एक नेता का नाम है- रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया. कुंडा के विधायक राजा भैया जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के सुप्रीमो भी हैं. इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राजा भैया के सपा से गठबंधन के कयास लग रहे हैं. कुछ दिनों पहले राजा भैया ने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात करके उन्हें जन्मदिन की बधाई भी दी थी. उसी समय से राजा भैया के सपा प्रेम के कयास लगने तेज हो गए. वहीं, अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए राजा भैया को पहचानने से इंकार किया था.

राजा भैया और मुलायम सिंह यादव के रिश्ते कैसे हैं? सवाल का जवाब उत्तर प्रदेश की सियासत में छिपा है. नवंबर 2002 में मायावती ने बीजेपी विधायक पूरण सिंह बुंदेला की शिकायत पर प्रतापगढ़ जिले के कुंडा से निर्दलीय विधायक राजा भैया को जेल में डलवा दिया था. राजा भैया पर सरकार ने आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) लगाया था. राजा भैया उनके पिता उदय प्रताप सिंह और चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था. उन पर अपहरण और धमकी देने के आरोप लगाए गए थे.

उस समय बीजेपी और मायावती के बीच कई मसलों पर खींचतान जारी थी. राजा भैया समेत 20 विधायकों ने तत्कालीन राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री से मायावती सरकार को बर्खास्त करने की मांग की थी. बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष विनय कटियार ने राजा भैया पर से पोटा हटाने की मांग की थी. उनकी मांग को मायावती ने अनसुना कर दिया. एक तरफ बीजेपी और बसपा के रिश्ते कमजोर हो रहे थे. वहीं, ताज कॉरिडोर के विवाद पर केंद्र और मायावती की सरकार में सियासी खींचतान जारी थी.

विवाद बढ़ रहा था और अगस्त 2003 में मायावती ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश राज्यपाल से कर दी. लालजी टंडन ने बसपा से समर्थन वापसी का पत्र राज्यपाल को सौंपा. दावा किया जाता है राज्यपाल को समर्थन वापसी की चिट्ठी पहले मिली. जिस कारण राज्यपाल ने विधानसभा को भंग नहीं किया.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में जारी सियासी उठा-पटक में मुलायम सिंह यादव ने सरकार बनाने का दावा कर दिया. उन्होंने 13 बसपा विधायकों के समर्थन की बातें भी कही. मायावती ने बसपा के बागी विधायकों पर दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग की. जिसे विधानसभा अध्यक्ष ने नहीं माना.

कई निर्दलीय विधायक भी मुलायम सिंह यादव के समर्थन में आ गए थे और नेताजी ने अगस्त 2003 में तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. शपथ के आधे घंटे के बाद मुलायम सिंह यादव ने राजा भैया के ऊपर लगे आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) को वापस लेने का आदेश दिया. राजा भैया को जेल से लखनऊ सिविल हॉस्पिटल भेजा गया. रास्ते में राजा भैया ने पहली बार अपने जुड़वां बेटों का चेहरा देखा था. पोटा लगने के बाद राजा भैया ने दस महीने जेल की सजा काटी थी.

राजा भैया के सियासी सफर की बात करें तो वो 1990 से कुंडा से विधायक हैं. उन पर आरोप भी लगे. जेल भी गए. कहा जाता है कि राजा भैया ने अपने घर के तालाब में मगरमच्छ पाल रखा था. उनसे जुड़ी कई कहानियां उत्तर प्रदेश के सियासी हलकों में सुनी-सुनाई जाती हैं. राजा भैया ने 2018 में जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का गठन किया. वो अगले साल के यूपी विधानसभा चुनाव में भी अपना दमखम दिखाने जा रहे हैं. राजा भैया का दावा है कि वो उत्तर प्रदेश की 100 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. राजा भैया किसी से गठबंधन करेंगे या नहीं? इस सवाल का जवाब अभी नहीं मिला है.

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