पटना: समाजवादी चेहरा, गवंइ अंदाज वाले रघुवंश प्रसाद सिंह धोती कुर्ता पहनने वाले इक्के दुक्के राजनेताओं में एक रह गये थे. कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद जब विधानसभा में नेता विपक्ष के नेता को लेकर हो रही उलझन में उन्होंने लालू प्रसाद का नाम उपर कर उनके मददगार साबित हुए थे. झक झक सफेद कुर्ता उनकी पसंदीदा ड्रेस रही है. मित्र लालू प्रसाद इस पर भी चुटकी लेते रहे थे. एक अणे मार्ग में जब लालू प्रसाद अपनी हाथों से मीट पकाते तो रघुवंश प्रसाद सिंह को जरूर याद करते.
2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की लहर पूरे देश में चल रही थी. लालू प्रसाद ने एक बार फिर वैशाली लोकसभा सीट से रघुवंश प्रसाद सिंह को उम्मीदवार बनाया. लालू इस चुनावी सभा में घुम घुम कर कहते, ब्रह्म बाबा को जीताइये, रामा को नहीं. राजनीतिक मामले में बेबाक बोलने वाले रघुवंश बाबू को लालू ब्रह्म बाबा भी कहते रहे. लेकिन चुनावी समर में लालू का करिश्मा काम नहीं आया और रघुवंश प्रसाद सिंह नये प्रतिद्वंद्वी रामा सिंह से चुनाव हार गये. वैशाली में भाजपा नेता राजनाथ सिंह की भी चुनावी सभा हुई थी. लालू प्रसाद वोटरों को अपने अंदाज में लुभाते और कहते कि देखो संघ की बातों में मत आना. संघ यानि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लोग गांवों में फैल चुके हैं.
भाजपा की लहर में फेकाये लालू प्रसाद और जदयू नेता नीतीश कुमार एकसाथ आये. अगस्त 2014 में हाजीपुर विधानसभा उप चुनाव को लेकर 20 सालों के बाद पहली बार हाजीपुर के सुभइ में एक चुनावी सभा में पहुंचे लालू प्रसाद ने कहा कि आरएसएस वालों ने कानोंकान फैला दिया कि राजनाथ बाबू प्रधानमंत्री बनने वाले हैं. इसलिए, राजपूतों ने अपना वोट रघुवंश प्रसाद सिंह की जगह रामा सिंह को दे दिया.
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राजद में लालू प्रसाद को अकेले में लालू कहने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह को उम्मीद थी कि पार्टी उनके हितों का ख्याल रखेगी. लेकिन, 2015 के बाद तीन बार 2016, 2018 और 2020 में कुल छह सदस्यों को राजद की ओर से राज्यसभा भेजा गया, लेकिन रघुवंश बाबू का नाम इसमें नहीं रहा.
( मिथिलेश की रिपोर्ट )
नोट: कोरोना से इलाज के बाद अपने गांव में आराम कर रहे रघुवंश बाबू से बातचीत पर आधारित