पिछले विधानसभा चुनाव से इसबार का समीकरण कुछ अलग हो गया है. 2015 के चुनाव में कांग्रेस, राजद और जदयू साथ मिलकर लड़े थे, लेकिन इस बार का चुनावी परिदृश्य कुछ अलग है. भाजपा तो कांग्रेस के सामने है ही जदयू भी उसके साथ विरोध में खड़ी है. इसके अलावा पिछले चुनाव में भाजपा के साथ मिलकर मैदान में उतरने वाली लोजपा और रालोसपा भी अलग से मैदान में खड़ी है. ये दोनों पार्टियां चुनाव को बहुकोणीय बनाने का प्रयास करेंगी. आइये जानते हैं दूसरे चरण का चुनाव कांग्रेस के लिए क्यों है खास
1. पिछले चुनाव में अधिसंख्य सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों के सामने थे भाजपा के उम्मीदवार, तो कुछ पर लोजपा के प्रत्याशियों से भी टक्कर हुई थी. लिहाजा कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 64 प्रतिशत था. 42 में 27 सीटें इस पार्टी ने जीत ली थी, इस बार कांग्रेस अधिक सीटों पर लड़ रही है और विरोधी भी नये हैं, ऐसे में दूसरे चरण में कांग्रेस को अपना स्ट्राइक रेट बरकरार रखने की चुनौती है.
2. दूसरे चरण के चुनाव में भागलपुर, बेगूसराय, रोसड़ा, बेतिया. इन चार सीटों को बचाने की चुनौती पार्टी के सामने हैं. पिछले चुनाव में जीती कांग्रेस की दूसरे चरण की तीन सीटें वाम दलों को चली गई हैं, जो सीटें उसके पास है उन पर टक्कर भाजपा उम्मीदवारों से है. जो तीन सीटें वाम दलों के खाते में हैं, उनमें भी मांझी और भोरे पर जदयू तो बछवारा पर भाजपा के टक्कर है. साथ ही पार्टी के चार दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी इस चरण में दांव पर है.
3. दूसरे चरण में जिन 94 सीटों पर चुनाव होना है, उनमें कांग्रेस के खाते में 24 सीटें गई हैं. खास बात यह है कि इस चरण की जो सीटें कांग्रेस को मिली हैं उनमें मात्र आठ पर ही गत चुनाव में वह लड़ी थी. शेष सीटें पार्टी के लिए नयी हैं. इन सीटों पर भी जीत दर्ज करना चुनौती है. 2010 में इन सीटों पर पार्टी का खाता भी नहीं खुला था. इस बार फुलपरास, पारू और वैशाली में पार्टी की स्थिति मजबूत बतायी जा रही है.
4. रोसड़ा से चुनाव जीते पार्टी के बड़े नेता डॉ. अशोक कुमार इस बार कुशेश्वर स्थान से किस्मत आजमा रहे हैं. मांझी से चुनाव जीते पूर्व मंत्री विजय शंकर दुबे को पार्टी ने महाराजगंज से उतारा है. महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बेगूसराय से चुनाव मैदान में हैं. पार्टी के बड़े नेताओं में शुमार कृपानाथ पाठक को भी इसी चरण में अपनी किस्मत आजमानी है. वह फूलपरास से उम्मीदवार हैं. पारू से कांग्रेस प्रत्याशी अनुनय सिन्हा हैं और वैशाली से कांग्रेस प्रत्याशी संजीव सिंह को उम्मीदवार बनाया है. इन उम्मीदवारों की जीत पार्टी की बिहार में वापसी के लिए बहुत मायने रखती है.
5. दूसरे चरण में नौतन, चनपटिया, बेतिया, गोविदगंज, फुलपरास, कुशेश्वरस्थान, पारू, गोपालगंज, कुचायकोट, महाराजगंज, लालगंज, वैशाली, राजापाकड़, रोसड़ा, बेगूसराय, खगड़िया, बेलदौर, भागलपुर, राजगीर, नालंदा, हरनौत, बांकीपुर, पटना साहिब और बेनीपुर जैसी कांग्रेस को परंपरागत सीटें मिली हैं. गठबंधन के तहत पार्टी के दो सीटिंग सीट के विधायकों का क्षेत्र बदला गया है. मांझी के विधायक को महाराजगंज से उम्मीदवार बनाया गया है. वहीं रोसड़ा के विधायक को कुशेश्वरस्थान से उम्मीदवार बनाया गया है. इन सीटों पर पार्टी की जीत कांग्रेस को बिहार में एक बार फिर से अपनी जमीन पाने का रास्ता तैयार करेगी.
Posted by Ashish Jha