बिजली उपभोक्ताओं के हित संरक्षण से लेकर संपूर्ण आपूर्ति व्यवस्था के संचालन को लेकर 15 साल पहले बने बिहार इलेक्ट्रिसिटी सप्लाइ कोड में संशोधन की तैयारी शुरू हो गयी है. साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी ने रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत स्मार्ट मीटरिंग रोल आउट की सुविधा के लिए सप्लाई कोड में नये प्रावधान शामिल करने को बिहार विद्युत विनियामक आयोग के समक्ष याचिका दाखिल की है.
आयोग के अध्यक्ष शिशिर सिन्हा एवं सदस्य एससी चौरसिया की बेंच ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए सुनवाई शुरू कर दी है. इस दौरान याचिकाकर्ता के प्रतिनिधि ने विस्तार से अपनी बातें रखीं. सुनवाई के दौरान हितधारक नंद शर्मा ने 15 साल पुराने सप्लाइ कोड के विभिन्न खंडों में संशोधन को लेकर लिखित पक्ष रखा. बीआइए के प्रतिनिधि ने अपना पक्ष रखने को लेकर समय मांगा. इस पर बेंच ने बिजली कंपनी को निर्देश दिया है कि वे प्रस्तावित संशोधनों को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करते हुए उस पर आम लोगों की टिप्पणियां, सुझाव व आपत्तियां आमंत्रित करें. यह आपत्तियां बिहार विद्युत विनियामक आयोग के कार्यालय में नौ मई की शाम पांच बजे तक लिखित रूप से जमा करायी जा सकती हैं. मामले की अगली सुनवाई 12 मई को निर्धारित की गयी है.
दरअसल, हाल के वर्षों में बिजली आपूर्ति व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है. खास कर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने से बिजली टैरिफ कनेक्टेड लोड आधारित के बजाय अब डिमांड आधारित हो गया है. वर्तमान सप्लाइ कोड में सिर्फ उपभोक्ताओं को लेकर नियम है, जबकि अब प्रॉम यूजर भी हो गये हैं, जो खुद भी सोलर प्लेट से बिजली उत्पादन कर कंपनी को बेचते हैं. वर्तमान सप्लाइ कोड उपभोक्ताओं को बिजली कनेक्शन के लिए हाथों-हाथ आवेदन करने और कनेक्शन के लिए जमानत राशि जमा करने की बाध्यता देता है, जबकि उपभोक्ता अब एप के माध्यम से नये कनेक्शन का आवेदन कर रहे हैं.
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प्री-पेड मीटर लगाने पर अब जमानत राशि देने की जरूरत भी नहीं होती. मीटर टेस्टिंग को लेकर भी केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने 2022 में नयी व्यवस्था लागू की है. मालूम हो कि बिजली कनेक्शन देने, बिल जेनरेट करने, मीटर टेस्टिंग, बिजली चोरी पकड़ने, फाइन की गणना सहित तमाम कार्य सप्लाइ कोड 2007 के तहत ही निर्धारित किये जाते हैं.