दरभंगा. दरभंगा के तालाब में बिहार का पहला तैरता हुआ सोलर बिजली प्लांट बन कर तैयार हो गया है. तालाब के पानी के ऊपर सोलर प्लेट लगाने का काम लगभग पूरा हो गया है. अब इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है. वहीं, इस सोलर प्लांट से उत्त्पन्न होने वाले बिजली को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए एक विद्युत उप केंद्र भी बनाया जा रहा है. इस सोलर प्लांट से 1.6 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा.
कादिराबाद मोहल्ले के जिस तालाब में यह प्लांट लगा है उसी के बंगल में एक ओर दरभंगा का तारामंडल बन रहा है तो दूसरी ओर 1938 में बना उत्तर बिहार का पहला पावर हाउस का खंडहर है. खास बात यह है कि इस तालाब में जितनी बिजली पैदा होगी, उतनी ही बिजली उस पावर हाउस में भी कभी पैदा हुआ करती थी. ऐसे में दरभंगा को एक बार फिर इतिहास लिखने का मौका मिला है.
बिहार का यह पहला तैरता पावर प्लांट है जो एक तालाब में पानी के ऊपर लगाया गया है. अच्छी बात ये है कि तालाब में सोलर प्लेट लगने से मछली के उत्पादन में कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा. पानी में मछली पालन भी होगा और पानी के ऊपर बिजली उत्पादन भी होता रहेगा. प्रयोग सफल होने पर इसे और तालाबो में विस्तार भी किया जायेगा.
दरभंगा के नगर विधायक संजय सरावगी कहते हैं कि बिहार सरकार के पीपीपी मोड पर यह फ्लोटिंग पावर प्लांट तालाब में लगाया गया है. यह एक सफल प्रयोग होने वाला है. इसमें सफलता मिली तो अन्य तालाबों में भी ऐसे सोलर प्लांट लगाए जाएंगे. दरभंगा के डीएम त्याग राजन ने कहा कि दरभंगा में अनेकों तालाब हैं, ऐसे में गैर परंपरागत बिजली उत्पादन होने से न सिर्फ बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि ज्यादा बिजली उत्पादन होने से इसके कीमतों में भी गिरावट होगी.लोगों को जल्द ही इसका लाभ मिलेगा.
प्लांट लगानेवाली कंपनी के प्रॉजेक्ट मैनेजर रोहित सिंह ने बताया कि इस पावर प्लांट से 1.6 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. लगभग पूरी तैयारी कर ली गयी है. जैसे ही सरकार का विद्युत उप केंद्र बनकर तैयार हो जायेगा, इसे चार्ज कर बिजली उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा. रोहित सिंह ने बताया कि इस पावर प्लांट की खास बात यह है कि इसमें किसी प्रकार का कोई प्रदूषण भी नहीं होगा और न ही तालाब की बनावट के अलावा मछली पालन करने में कोई छेड़छाड़ किया जाएगा.