गया. साल 2023 को केंद्र सरकार ने मिलेट वर्ष घोषित किया है. मोटे अनाज की श्रेणी में आनेवाले खाद्य पदार्थ हमारे थाली से तो दूर हो ही रहे थे, पिछले साल मोटे अनाज के उत्पादन में भी भारी गिरावट दर्ज की गयी है. ऐसे में सरकार अब इस मुद्दे को लेकर मुहिम शुरू की है. इसी क्रम में बिहार का पहला मिलेट होम गया जिले के बाराचट्टी प्रखंड क्षेत्र के महादलित बाहुल्य गांव कोहवरी में खोला गया है. समाज और पर्यावरण के बीच बेहतर तालमेल बनाने के मकसद से खोले गये इस मिलेट होम में मोटे अनाज की ब्रांडिंग की जायेगी.
जानकारी के अनुसार बिहार में खुलने जा रहे इस पहले मिलेट के अंदर में विलुप्त हो रहे मोटे अनाज की कई प्रजातियां के अलावा कई तरह के साग सब्जियों से बनाये गये सामान आम लोगों को मिल सकेंगे. सहोदय समुदाय की ओर से यह बाराचट्टी में शुरू किया गया एक प्रयास है, जिससे मोटे अनाज को लोगों की थाली तक पहुंचाने की मुहिम शुरू की गयी है. लोगों को स्वस्थ और टिकाऊ जीवन जीने की ओर बढ़ने की प्रवृत्ति से रूबरू दादा दादी के जमाने में मोटे अनाज की परंपरा को एक बार फिर जिंदा करते हुए.
स्थानीय मीडिया से बात करते हुए सहोदय समाज से जुड़े अनिल कुमार ने कहा कि बाराचट्टी के इस महादलित गांव में 2017 से बच्चों को वैकल्पिक समग्र शिक्षा देने की कोशिश की जा रही है. इसी कड़ी में केंद्र सरकार की मुहिम के तहत यहां मिलेट होम खोलने की योजना बनायी गयी, ताकि इलाके के लोगों के अलावा अन्य इलाके के लोग भी जागरूक होकर मोटे अनाज का सेवन कर अपने को स्वस्थ रख सके. ओड़िशा में वहां की सरकार ने कुपोषण दूर करने के लिए जनवितरण प्रणाली दुकान के माध्यम से मडुआ बांटना शुरू किया है. वहीं केंद्र सरकार के सेंट्रल हॉल के कैंटीन में भी मडुआ से बने सामान अब उपलब्ध कराये गये हैं.
अनिल कुमार ने कहा कि इस मिलेट में मडुआ कोदो कोईनी कुटकी सावां मोटे अनाज जैसे अनाज रखे गए हैं. वहीं, मनकोनी अलसी राम तेल सफेद तिल आदि से बने खाद्य पदार्थ और व्यंजन ठेकुआ नीम की लड्डू हलवा बर्फी केक और बिस्कुट आदि उपलब्ध है. आम लोगों को रसायन मुक्त देसी खाद्य सामान या अनाज तेल आदि को शुद्धता के साथ देने का लक्ष्य रखा गया है. वही हर्बल चाय घरेलू औषधि के अलावा एक सौ तेरह के देसी बीज को भी रखा गया है.