नमन चौधरी, नाथनगर (भागलपुर)
हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के लिए भागलपुर के नाथनगर में सेल्फ मूट एंड डिजिटल कोर्ट बनाया गया है. नाथनगर के नूरपुर में वरीय अधिवक्ता अनिल झा ने इसे बनवाया है. अब यहां से देशभर के कोर्ट की सुनवाई डिजिटल माध्यम से की जा सकेगी. अनिल झा का दावा है कि बिहार में यह पहला कोर्ट है. अब तक किसी अधिवक्ता ने ऐसी व्यवस्था नहीं बनायी है. यह कोर्ट 10 डिसमिल यानी चार कट्ठे जमीन में बनायी गयी है. बड़ा सा हॉल बनाया गया है. इसमें जज को बैठने के लिए इजलास बनवाया गया है. गवाहों की पेशी के लिए विटनेस बॉक्स (कटघरा) बनवाया गया है. इसके अलावा 65 इंच का एलसीडी लगवाया गया है. कंप्यूटर, कैमरा व अन्य डिजिटल मशीन लगवायी गयी है. किसी भी कोर्ट के केस में यहां बैठ कर अधिवक्ता बहस कर सकेंगे. वही इस मूट कोर्ट में कानून मामले की कई किताबें रखी गयी है.
बंगाल में बैंक डकैती का केस भी लड़ा जा रहा ऑनलाइन
इस मूट कोर्ट में पहला केस आॅनलाइन दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में लंबित मामले का लड़ा गया. मामला चेक बाउंस से जुड़ा था.भागलपुर के शिकायतकर्ता प्रकाश शर्मा ने दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में केस किया था जिस पर सुनवाई हुई .इसके अलावा बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक्सिस बैंक में घुस कर दो करोड़ रुपये की बड़ी डकैती का केस अभियुक्तों के तरफ से लड़ा जा रहा है. इसकी सुनवाई मूट कोर्ट के माध्यम से ऑनलाइन चल रही है.
जिले के सभी वकील कर सकेंगे इस व्यवस्था का उपयोग
अधिवक्ता अनिल झा ने बताया कि इस डिजिटल कोर्ट का उपयोग कोई भी अधिवक्ता कर सकेंगे जो हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का केस लड़ते हैं. उनके लिए यह मुफ्त सेवा है. इसके लिए एक एसोसिएशन बनाया जायेगा. इसमें सक्रिय अधिवक्ताओं को जोड़ा जायेगा. ऐसे अधिवक्ता इस कोर्ट का उपयोग कर सकेंगे.
अधिवक्ता दिवस के मौके पर जिला जज ने किया था उद्घाटन
अनिल झा ने बताया कि इस सेल्फ मूट एंड डिजिटल कोर्ट का उद्घाटन जिला व सत्र न्यायाधीश ने किया था. इस मौके पर सभी जजों व अधिवक्ताओं एवं प्रबुद्ध लोगों को आमंत्रित किया गया था. इस कोर्ट का उद्घाटन 3 दिसंबर को अधिवक्ता दिवस व देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिन के मौके पर हुआ था.अधिवक्ता अनिल झा ने बताया कि डिजिटल कोर्ट दिल्ली व कुछ बड़े शहर में कुछ अधिवक्ताओं ने बनवाये है. मगर वो काफी छोटी जगह में बना है. यहां बड़ी जगह में यह कोर्ट बनवाया गया है. साल भर बाद अभियुक्तों को सरेंडर करने की भी व्यवस्था बनायी जायेगी.
क्या होता है सेल्फ मूट एंड डिजिटल कोर्ट
पिछले तीन चार सालों से हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के केस की सुनवाई डिजिटल माध्यम से यानी ऑनलाइन होने लगी है. अधिवक्ता घर बैठे मोबाइल या लैपटॉप में एप डाउनलोड कर सुनवाई में शामिल होते हैं. लैपटॉप और मोबाइल में सुनवाई में दिक्कत होती है. इस परेशानी से समाधान के लिए वकील अपने या भाड़े के घरों में निजी फंड से डिजिटल कोर्ट बनवाते हैं. इसमें बड़ा स्क्रीन होता है. कैमरा लगा होता है. कुछ वकील गवाहों की पेशी के लिए विटनेस बॉक्स व जज को बैठने का इजलास बनवाते हैं. यहां बैठ कर देश भर के किसी भी कोर्ट के केस को लड़ा जा सकता है. इससे अधिवक्ता को और केस से जुड़े लोगों को हाइकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट आना जाना नहीं पड़ता है.
क्या कहते हैं लॉ कंसल्टेंट
मूट कोर्ट में नये-नये अधिवक्ताओं को सीखने का अच्छा अवसर मिलता है. नये अधिवक्ता बहस करने की अच्छी शैली सीखते हैं. हिचकिचाहट दूर होती है. दूसरे दूर के कोर्ट का केस लड़ने में आसानी होती है.
राजेश कुमार तिवारी, लॉ कंसल्टेंट