भागलपुर: घर में गंगा बाढ़ को अपने साथ लेकर जिस दिन प्रवेश की, उसी दिन से पतोहू जमुना सूखी जगह खोज चूल्हे में आग लगा परिवार के पेट की भूख को शांत करने लगी. इस बीच बच्चों की याद आती है, तो तेज आवाज लगाती है. जिस नाम को पुकारती है वह आवाज नहीं देता, तो परेशान होकर पूरा परिवार गंगा की तरफ भागने लगता है. दिल में आशंका होती है, कहीं बच्चे के साथ अनहोनी तो नहीं हो गयी. यह हाल है सबौर पंचायत के कर्इ गांव के ग्रामीणों का. अब इस परेशानी से बचने के लिए गांव की महिलाएं व बच्चे पलायन कर रहे हैं.
घोषपुर गांव की नूतन शनिवार को अपने मायके चली गयी. बेटी को साथ ले जाने के लिए पिता सुरेश कुमार यादव तारापुर से आये थे. नूतन कहती है हमारे घर के पास से गंगा गुजरती है, जिससे बाढ़ सीधे हमारे घर में सबसे पहले प्रवेश करती है. ऐसे में जहरीले जीव के साथ गंगा के भीषण रूप से भी खतरा है. बच्चों को बचाने के लिए हमें घर से पलायन करना जरूरी है. इंग्लिश गांव की जमुना देवी भी अपने बच्चों के साथ मायका पलायन कर रही थी. वह कहती है गंगा भीषण बाढ़ के साथ हमारे घर में आ गयी है, ऐसे में गंगा जब तक घर में रहेगी हम अपने मायके में रहेंगे.
बाढ़ प्रभावित अधिकतर घरों की महिलाएं पलायन कर चुकी है. परिवार वाले खास कर अपने बच्चों को रिश्तेदार के घर भेज रहे हैं, तो कोई अपने ससुराल. घर की सुरक्षा का भार पुरुषों के कंधे पर आ गया है. यह लोग घर के आसपास ही रह रहे हैं. जिनकी छत पक्का का है वह यही रात गुजार रहे है. दिन में इधर उधर भटक कर समय काट रहे हैं.