मुजफ्फरपुर. मानसून के आने के बाद जिले के कई क्षेत्र बाढ़ ग्रसित हो गया है. इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोग बाढ़ से बचने के लिए अपने घरों को छोड़कर पलायन करने लगे हैं. कई जगहों पर सांप और बिच्छू निकलने लगे हैं. जिले के रजला विशुनपुर मंगल स्थित तिरहुत नहर का तटबंध करीब तीस फुट में टूट गया. गुरुवार की दोपहर मल्लिकपुर शाखा के आरडी – 54 के समीप तटबंध टूटने की खबर मिलते ही पूर्वी इलाकों में रह रहे ग्रामीणों में अफरातफरी मच गयी.
इसकी सूचना मिलते ही सीओ और एसडीओ पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए. नहर से निकल रहे पानी के तेज फैलाव को रोकने के कमतौल स्थित फाटक को बंद कराया. फाटक बंद होने के करीब आधे घंटेबाद पानी के निकलने की रफ्तार कम हुई. पानी के प्रवेश कर जाने से इन लोगों के घरों में जमीन पर रखा अनाज समेत अन्य सामग्री बर्बाद हो गया. वहीं सैकड़ों किसानों का कई एकड़ खेतों में लगा धान की फसल डूब गया. केले के पौधों को भी भारी नुकसान हुआ.
पिछले एक सप्ताह उत्तर बिहार के सभी जिले में हुई झमाझम बारिश और नेपाल से लगातार पानी छोड़े जाने से जिले में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है. खास कर बूढ़ी गंडक के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है. शहरी इलाके के वार्ड 13 और 14 में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. हालांकि वार्ड का यह हिस्सा बूढ़ी गंडक बांध के बीच में आता है. आश्रम घाट और झील नगर के पास बाढ़ का पानी पहुंच गया है. इससे लोगों में अफरा-तफरी का माहौल है. लोग माल-मवेशी के साथ ऊंचे जगह पर ठिकाना तलाश रहे हैं. बागमती के जलस्तर में गिरावट आ रही है. हालांकि कटौझा में यह खतरे के निशान से अभी भी एक मीटर ऊपर है. बाढ़ का पानी कटरा और औराई प्रखंड के कई गांव में फैल चुका है. आधा दर्जन से अधिक पंचायत का मुख्य सड़क से संपर्क भंग हो गया है. इससे बाढ़ प्रभावित इलाके के लोग ऊंचे स्थान पलायन करने लगे हैं.
गंडक नदी का जलस्तर बढ़ने से गुरुवार को तिरहुत तटबंध के भीतर की सड़कों पर दो से तीन फीट तक पानी चढ़ गया. इस कारण ग्रामीणों के बीच आवागमन की समस्या खड़ी हो गयी. वहीं बंगरा निजामत के महादलित बस्ती में पानी घुस जाने के कारण 50 से अधिक परिवारों को तिरहुत तटबंध पर शरण लेना पड़ा. माधोपुर हजारी, देवसर असली, बंगरा निजात, रूपछपड़ा, पहाड़पुर मनोरथ, हुस्सेपुर व हुस्सेपुररती के ग्रामीणों ने बताया कि दो हजार हेक्टेयर में लगी फसलें जलमग्न हो गयी है. वहीं, बाढ़ की आशंका से ग्रामीण भयभीत हैं. जल संसाधन विभाग के अनुसार गुरुवार को वाल्मिकीनगर बराज से गंडक नदी में 4.87 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है.
बागमती के जलस्तर में आंशिक कमी होने के बाद भी कटरा और औराई क्षेत्र की समस्या ज्यों का त्यों है. नये क्षेत्रों के निचले हिस्से में पानी प्रवेश कर गया है. बसघट्टा, पतारी, अनदामा, तेहबारा, बर्री, भवानीपुर, चंदौली, बलुआ, कटरा, माधोपुर सहित अन्य गांव के निचले हिस्से में बाढ़ का पानी फैल जाने लोगों को बाढ़ की चिंता सताने लगी है. पीपा पुल संचालक अरुण कुमार सिंह ने कहा कि जल स्तर में कमी होने के पश्चात भी दो पहिया, चार पहिया वाहनों का परिचालन बंद है. कटरा स्थित भू-निबंधन कार्यालय में औराई प्रखंड प्रखंड से भू-निबंधन कराने के लिए आने वाले लोगों को 12 किलोमीटर की जगह 50 किलोमीटर की दूरी तय कर निबंधन कार्यालय तक आना पड़ता है. बागमती नदी के जलस्तर में गुरुवार की सुबह से ही गिरावट दर्ज की गयी. कटौझा में नदी का जलस्तर ख़तरे के निशान से एक मीटर नीचे हो गया है.
वहीं, मुजफ्फरपुर शहर के ब्रह्मपुरा और बटलर रोड लीची बगान रेलवे कॉलोनी व इससे सटे मोहल्लों के घरों में बारिश का पानी घुस गया है. जल निकासी की पूर्ण व्यवस्था नहीं होने के कारण घरों के अंदर घुटने भर पानी लगा है. इसमें अब सांप-बिच्छू निकल रहे हैं. सबसे ज्यादा परेशानी बटलर के पास लीची बगान रेलवे कॉलोनी में रहने वाले लोगों को हो रही है. बटलर रोड की तरफ से जो रेलवे की जमीन खाली है, वह बारिश के पानी से लबालब हो गया है. दीवार से रिस कर पानी घर के अंदर घुस रहा है. बाथरूम व शौचालय के माध्यम से लोगों के घरों में पानी प्रवेश कर गया है. इससे रूटीन काम करना भी रेलवे कॉलोनी में रहने वाले परिवारों के लिए मुश्किल हो गया है