Bihar Flood: फसल बर्बाद-घरों में पानी..अब पानी के बीच ‘पानी’ मिलना हुआ मुश्किल,देखें बिहार की ये तस्वीरें
भागलपुर शहर के गंगा किनारे बसे मोहल्ले साहेबगंज, मोहनपुर, सराय, रिकाबगंज, कंपनीबाग, बूढ़ानाथ, सखीचंद घाट, कसबा गोलाघाट, किलाघाट, मानिक सरकार घाट, आदमपुर घाट, बैंक कॉलोनी, कोयलाघाट, कालीघाट, बरारी घाट आदि क्षेत्रों में बोरिंग के पानी से बदबू निकल रही है.
भागलपुर, दीपक राव: गंगा में आयी बाढ़ के कारण निकटवर्ती शहरी क्षेत्रों में पेयजल की समस्या गहरा गयी है. बाढ़ में फंसे लोगों को दूषित पानी पीना पड़ रहा है. हालांकि कुछ लोगों को पीने के लिए जार का पानी खरीद रहे हैं.
undefined बोरिंग व चापानल के पानी में बदबूशहर के गंगा किनारे बसे मोहल्ले साहेबगंज, मोहनपुर, सराय, रिकाबगंज, कंपनीबाग, बूढ़ानाथ, सखीचंद घाट, कसबा गोलाघाट, किलाघाट, मानिक सरकार घाट, आदमपुर घाट, बैंक कॉलोनी, कोयलाघाट, कालीघाट, बरारी घाट आदि क्षेत्रों में बोरिंग के पानी से बदबू निकल रही है. मोहनपुर के राजकिशोर कुमार ने बताया कि क्षेत्र में हजारों की आबादी है. हरेक घर में बाढ़ का पानी घुस आया है. लगातार पानी जमे रहने के कारण चापानल का पानी गंदा निकलने लगा है. यही पानी उबाल कर पीने को विवश हैं. वहीं रिकाबगंज के सामाजिक कार्यकर्ता अमित सिंह ने बताया कि हर वर्ष गंगा में जलस्तर बढ़ने और विश्वविद्यालय परिसर से निकले हथिया नाला में पानी बढ़ने के साथ ही पानी बदबूदार निकलने लगता है. इसके लिए अधिकतर लोग जार वाला पानी खरीदने को विवश हैं.
मानिक सरकार घाट रोड से आदमपुर घाट की ओर जाने वाला मार्ग अवरुद्ध हो गया है. सीएमएस स्कूल मैदान में बाढ़ का पानी घुस गया. इतना ही नहीं बैंक कॉलोनी से मानिक सरकार की ओर आने के लिए गंदे पानी में घुसना पड़ रहा है. चारों तरफ सड़ांध फैल रही है.
undefined 70 परिवारों का डूबा घर, एक महिला हुई मौतवहीं, दीपनगर झुग्गी बस्ती के दिनेश गुप्ता, मनोज गुप्ता, बोगा महतो, रिंकु राय, राजेश राय, सिताबी महतो, उर्मिला, शकुंतला देवी आदि का कहना है कि यहां 70 परिवार का घर डूब गया है, लेकिन अब तक कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल रही है. अधिकतर लोग आसपास के ऊंचे स्थानों में तंबू लगाकर रहने को विवश है. कई लोग अपनी झुग्गी से अपना सामान भी नहीं निकाल पाये. एक महिला की कपड़ा धोने के दौरान डूबकर मौत हो गयी. सरकारी विभाग के अधिकारी व कर्मचारी कोई देखने तक नहीं पहुंचे. यहां पर लगे चापाकल से पानी लेना पड़ता है. वहीं प्याऊ का पानी भी गंदा आने लगा है. सभी लोग इससे पानी लेने को विवश हैं.
undefined बिक्री के साथ बढ़ी कीमतशहर में बाढ़ के कारण चापाकल व अन्य श्रोतों से दूषित पानी आने से जार पानी की बिक्री बढ़ गयी है. पानी कारोबारी रंजन प्रसाद ने बताया कि शहर में 100 से अधिक जार पानी के कारोबारी हैं. उनका खुद पहले 150 जार रोजाना बिकता था, अब बढ़कर 200 जार बिक रहे हैं. पहले ऑर्डर पर जार मिल जाता था. अब जार हर जगह पहुंचाना मुश्किल हो जाता है. इस कारण ग्राहक खुद प्लांट पर आकर ले जाते हैं. शहर में कई ऐसे भी प्लांट वाले हैं, जो 350 से 400 जार रोजाना बेच लेते हैं. कारोबारी की मानें, तो मांग बढ़ने के साथ ही भाव बढ़ गये हैं. पहले जिस जार का दाम 20 से 25 रुपये था, वही अब 30 रुपये में बिक रहे हैं.
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