मौसम को लेकर बिहार दोधारी तलवार पर खड़ा है. एक तरफ कम बारिश के चलते दक्षिण बिहार सूखे की चपेट में आता दिख रहा है. वहीं, नेपाल और उससे सटे जिलों में हुई बारिश के चलते उत्तर बिहार में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. बता दें कि बीते दो महीनों में बिहार में कम बारिश के चलते पहले ही धान की रोपाई प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुई है. उस पर से अब सूबा बाढ़ की दोहरी मार भी झेल रहा है. मतलब बिहार में कहीं सूखा तो, कहीं पानी ही पानी है.
बीते दो-तीन दिनों में हुई भारी बारिश के कारण उत्तर बिहार के मैदानी इलाकों में बाढ़ की संभावना बढ़ गई है. ये पानी बीते 24 घंटों में नेपाल से आया है. जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय कुमार झा ने सोमवार को गंडक, कोसी, बागमती और कमला बालन नदियों को लेकर हाई अलर्ट जारी किया है. इन नदियों का जल स्तर कुछ बिंदुओं पर खतरे के स्तर को पार कर रहा है.
नेपाल में बीते 24 घंटों में हुई भारी बारिश के चलते गंडक में वाल्मीकिनगर बैराज से पानी का बहाव बढ़कर 2. 64 लाख क्यूसेक हो गया. नेपाल में नदी के जलग्रहण क्षेत्र के एक बिंदु पर पिछले 24 घंटों में 249 मिमी बारिश हुई है. ठीक इसी तरह, कोसी के बीरपुर बैराज से 1.81 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया. सोमवार को बसुआ और बलतारा में नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी. कमला बलान भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी.
एक तरफ जहां उत्तर बिहार में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है, वहीं दूसरी तरफ मौसम विभाग ने नवीनतम पूर्वानुमान को जारी करते हुए अगस्त-सितंबर के दौरान भी बारिश की कमी की संभावना जताई है. विभाग की माने तो बिहार के गंगा मैदानी इलाकों और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ अन्य हिस्सों में बारिश की कमी बनी रह सकती है. आसान शब्दों में कहें तो इस बार बिहार के किसानों के लिए धान की खेती बेहद मुश्किल साबित होने वाली है.