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Bihar Flood: नेपाल की बारिश से बिहार की नदियां उफनाई, कोसी व गंडक का दिख रहा रौद्र रूप, गांवों से संपर्क टूटा

बिहार में बाढ़ के हालात बन चुके हैं. नेपाल में हो रही बारिश से बिहार के हालात अब बिड़ने लगे हैं. कोसी और गंडक नदी अब विकराल रूप धारण कर चुकी है. कई गांवों के संपर्क भंग हो चुके हैं. सुपौल में लोगों को घर छोड़कर बाहर आने की अपील प्रशासन कर रही है. जानिए क्या है ताजा अपडेट..

Bihar Flood Update: बिहार व नेपाल की बारिश की वजह से प्रदेश की नदियों में उफान है. कोसी व गंडक उफनाई हुई है और कोसी-सीमांचल व गोपालगंज में अब बाढ़ का कहर देखने को मिल रहा है. लोग अब पलायन करने को मजबूर हैं. कटिहार जिले के सभी प्रमुख नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है. महानंदा नदी के जलस्तर में वृद्धि पिछले दिनों से जारी है. इस नदी का जलस्तर झौआ, बहरखाल, आजमनगर, कुर्सेल, धबोल, दुर्गापुर व गोविंदपुर में जलस्तर बढ़ रहा है. इस नदी के घटते-बढ़ते जलस्तर से कई क्षेत्रों में कटाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. दूसरी तरफ गंगा, कोसी व बरंडी नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी है. कारी कोसी नदी का जलस्तर स्थिर है. गंगा, कोसी व बरंडी नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान से ऊपर हो चुकी है.गंगा, कोसी व बरंडी नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी रही है. जबकि कारी कोसी शांत है. अमदाबाद प्रखंड के जिलेबी टोला गांव में बाढ़ का पानी फैल गया है. जिस वजह से जिलेबी टोला गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल एवं भोजन पानी से लेकर कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो गई है. 

कोसी के जलस्तर में बढ़ोतरी ,हाइ अलर्ट जारी

कोसी के जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से सहरसा जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिए हाइ अलर्ट जारी कर दिया है. डीएम वैभव चौधरी ने विशेषकर नवहट्टा, महिषी, सिमरी बख्तियारपुर व सलखुआ प्रखंड के तटबंध के अंदर बसे लोगों को तत्काल अति सुरक्षित एवं उचे स्थल पर आश्रय लेने का आग्रह किया है. उन्होंने बताया कि सोमवार की संध्या तक पानी के विभिन्न जगहों पर फैल जाने की संभावनाएं को देखते हुए लोगों को शीघ्र उंचे सुरक्षित स्थान पर शरण लेने की अपील की जा रही है. नेपाल के तराई क्षेत्र में भारी बारिश होने के कारण कोसी नदी का भारी डिस्चार्ज होने के कारण सुपौल में पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर दर्जनों गांव में बाढ़ का पानी लोगों के घर आंगन में एक से दो फीट फैल गया है. जिसके कारण लोगों में त्राहिमाम की स्थिति बन गई है

कोसी उफान पर, रेलवे ट्रैक के इर्द-गिर्द कटाव शुरू

कोसी बराज से पिछले दिनों अधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने से सहरसा-मानसी रेलखंड के बीच कोसी और बागमती नदी तेज उफान पर है. वहीं रेलवे ट्रैक के पास नदी में तेज उफान से कटाव भी हो रहा है. अगर यही स्थिति रही तो ट्रेन परिचालन पर भी असर पड़ सकता है. वर्तमान में फनगो हाॅल्ट के पास कोसी नदी के रेलवे ट्रैक के इर्द-गिर्द कटाव भी शुरू होने लगा है. स्पर संख्या 14/047 और 14/23 के बीच नदी की तेज धारा से कटाव भी हो रहा है. वही स्पर संख्या 14/23 के पास भी कटाव जारी है. इसके अलावा 14/047 के पास कटाव रोकने के लिए इंजीनियरों द्वारा लेयर भी तैयार किया गया है. लेकिन कोसी बराज से पिछले 2 दिनों में 8 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से रेल प्रशासन एक बार फिर अलर्ट हो गया है. हालांकि कटाव रोकने के लिए रेलवे द्वारा इंजीनियरिंग विभाग की टीम 24 घंटे निगरानी के लिए लगायी गयी है. वहीं बोल्डर भी गिराये जा रहे हैं. कंट्रीले तारों से कटाव वाले चिन्हित बिंदुओं को बांधा गया है. हालांकि रेल अधिकारियों की माने तो कोसी बराज से पानी छोड़े जाने से पानी का दबाव बढ़ेगा. इसके लिए बोल्डर और लोहे की पाइप लाइन सहित अन्य मेटेरियल को पहले से ही रेल विभाग ने स्टोर कर लिया गया है.

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गंडक का कहर..

नेपाल में भारी बारिश से गंडक उफनायी हुई है. गोपालगंज के निचले इलाके के 43 गांव बाढ़ से घिर चुके हैं. नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है. जल स्तर बढ़ने से तटबंधों पर दबाव बढ़ चुका है. पानी अब सड़कों पर बहने लगा है. स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र डूब चुके हैं. कई गांव एक सप्ताह से पानी से घिरे हुए हैं. गांव तक जाने वाली सड़क पर पानी बह रहा है. गांवों का संपर्क शहर से कट गया है. वाल्मीकिनगर बराज से 1.45 क्यूसेक पानी फिर छोड़ा गया है.उधर, गंगा नदी में भी उफान होने के कारण गंडक नदी का पानी स्टोर होने लगा है. पिछले 48 घंटे से नदी के बहाव के स्पीड में कमी आयी है. इससे तटबंधों पर निगरानी को बढ़ाया गया है.गांवों को जोड़ने वाली सभी सड़कों पर नदी का पानी बह रहा है. गांव चारों तरफ से घिरा हुआ है. आने-जाने के सभी मार्ग ध्वस्त हो चुके हैं. स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र भी डूब गये हैं. अब नाव ही एकमात्र सहारा बची है. घरों में राशन व सब्जियों के भी दिक्कत होने लगी है. बच्चों को लोग स्कूल जान को जोखिम में डालकर पहुंचा रहे हैं. खेतों में पानी लगने के कारण पशुओं को चारा लाना भी किसानों के लिए बड़ी चुनौती है.

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