बिहार में मानसून की एंट्री हो चुकी है. बारिश का सिस्टम सूबे में अभी पूरी तरह सक्रिय नहीं हुआ है लेकिन बाढ़ ने अब दस्तक दे दी है. कोसी-सीमांचल इलाके की नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया, सुपौल समेत कई जिलों में नदियों के जलस्तर बढ़ने से स्थानीय लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है. सीमांचल में नदियों का जलस्तर बढ़ा तो नाव पर सवार होकर एसएसबी जवान पेट्रोलिंग कर रहे हैं. वहीं निचली क्षेत्र के लोग अब पलायन की तैयारी में भी लग गए हैं. बाढ़ का प्रकोप हर साल इन क्षेत्रों के लोगों की परेशानी को बढ़ाता है.
मूसलाधार बारिश के बाद भारतीय क्षेत्र से होकर बहने वाली नूना नदी में पानी का प्रवाह फिर से शुरू हो चुका है. बारिश के कारण खेत खलिहान में पानी जमा होने लगे हैं. वहीं नूना नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण तटवर्ती गांवों में बाढ़ जैसा नजारा दिखने लगा है. इधर कटिहार के सिकटी प्रखंड क्षेत्र के बीचोबीच निर्माणाधीन रेल लाइन निर्माण के लिए मिट्टी भराई का कार्य जरी रहने के कारण नूना का बहाव अवरूद्ध हुआ है. इस कारण निचले इलाकों में पानी के ठहराव के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने लगी है.
नूना नदी के जलस्तर का बढ़ना व घटना क्षेत्रवासियों के लिये कोई नई बात नहीं. लेकिन मिट्टी भराई का कार्य होने के कारण बरसात के दिनों में होने वाली दिक्कतों को लेकर क्षेत्र के लोग अभी से चिंतित हैं. ग्रामीणों ने बताया कि नूना में अचानक पानी के तेज गति से बढ़ना व घटना कोई नई बात नहीं है. पानी के अचानक बढ़ने की गति इतनी तेज रहती है कि लोगो को संभलने का मौका भी नहीं मिलता.
किशनगंज के सीमावर्ती क्षेत्र में हो रही बारिश के साथ ही नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. दिघलबैंक प्रखंड के सीमावर्ती क्षेत्र से होकर गुजरने वाली कनकई नदी में पानी भर गया है. ऐसे में भारत-नेपाल सीमा की सुरक्षा में तैनात एसएसबी जवानों को नाव पर चढ़कर सीमा की सुरक्षा के लिए पेट्रोलिंग करनी पड़ रही है. पश्चिमी क्षेत्र के मंदिर टोला,पलसा गांव के तरफ जवानों को नाव के सहारे पहरेदारी करनी पड़ रही है. रविवार को एसएसबी 12 वीं वाहिनी की (ई) कंपनी सिंघीमारी की बीओपी कोडोबाड़ी के अधिकारी व जवानों ने नेपाली एपीएफ के जवान व अधिकारियों के साथ संयुक्त पेट्रोलिंग की.
Also Read: भागलपुर विस्फोट: क्या जमीन के नीचे दबाकर रखा गया था बम? जानिए धमाके को लेकर ATS को और क्या है आशंकापूर्णिया के बायसी अनुमंडल के तीन प्रखंडों बायसी, बैसा और अमौर के तटवर्ती गांवों में नदियों के जलस्तर में वृद्धि के साथ-साथ बाढ़ की आशंका के बीच नदियां कटाव का कहर बरपा रही हैं. बायसी प्रखंड अंतर्गत बहने वाली महानंदा नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी है. यदि इसी तरह महानंदा नदी के जलस्तर में वृद्धि जारी रही तो बहुत जल्द निचले इलाकों में महानंदा का पानी फैल जायेगा. नेपाल के तराई क्षेत्र में लगातार बारिश होने से महानंदा नदी के जलस्तर में वृद्धि हो रही है.सबसे ज्यादा डर नदी के किनारे रहने वाले लोगों को है.
बायसी प्रखंड के कई ऐसे गांव है जो महानंदा नदी के किनारे हैं. टिक्करटोला ताराबाड़ी, मालोपारा, तेलंगा, गांगर, भासिया, नवाबगंज, बनगामा, मड़वा , भीखनपुर एवं चहट इन सभी गांवों के लोगों को बाढ़ की चिंता ज्यादा रहती है.
ग्रामीणों का कहना है कि यहां के लोग बाढ़ का अंदाज नदी के पानी से ही लगा लेते हैं . जैसे-जैसे नदी के जलस्तर में वृद्धि होती है लोगों में बाढ़ का खतरा भी उतना ही बढ़ता जाता है . जब नदी का पानी घटने लगता है तो लोग राहत महसूस करते हैं .मगर कई दिनों से महानंदा के पानी में लगातार वृद्धि हो रही है. जिससे लोग सचेत हो गए हैं.
मानसून प्रवेश होने के बाद नेपाल के तराई क्षेत्र में हो रही बारिश के साथ साथ पूर्णिया के अमौर प्रखंड में रुक-रुक कर हो रही बारिश से कनकई नदियों का जलस्तर अचानक शुक्रवार के करीब चार बजे से चार से पांच फीट बढ़ गया है.खाड़ी घाट पर बना चचरी पुल बह गया.कनकई नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण नदी किनारे बसे लोगों को अधिक डर और खतरा सता रहा है.
Published By: Thakur Shaktilochan