Flood Update: अब लाल निशान के नीचे बह रहीं बिहार की प्रमुख नदियां, गंगा समेत इन नदियों का बढ़ा जलस्तर…

बिहार में बाढ़ के हालात पिछले दिनों हुइ बारिश की वजह से बन गये. फिलहाल बारिश थमने की वजह से अब पानी भी नदियों में कमा है. सूबे की सभी प्रमुख नदियां रविवार को खतरे के निशान से नीचे बह रही थीं. कोसी शांत दिख रही है जबकि गंगा, पुनपुन और घाघरा नदियों के जल स्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गयी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 24, 2023 1:58 PM
an image

बिहार में सभी प्रमुख नदियां रविवार को खतरे के निशान से नीचे बह रही थीं. वाल्मीकिनगर बराज से गंडक नदी में दोपहर को 83 हजार 900 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. हालांकि, वहां जल स्तर में बढ़ोतरी के संकेत हैं. वहीं, वीरपुर बराज से कोसी नदी में 88 हजार 650 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. वहां जल स्तर में कमी के संकेत हैं. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार रविवार को गंगा, पुनपुन और घाघरा नदियों के जल स्तर में बढ़ोतरी के संकेत हैं. वहीं, डुमरिया घाट में गंडक नदी खतरे के निशान से 65 सेंमी नीचे बह रही थी. इसमें सोमवार सुबह तक आठ सेंमी बढ़ोतरी की संभावना है.

मंत्री संजय झा ने बाढ़ से सुरक्षा कार्यों की समीक्षा की, दिये निर्देश

सूचना एवं जनसंपर्क सह जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने रविवार को बाढ़ से सुरक्षा कार्यों की समीक्षा की, साथ ही अधिकारियों व अभियंताओं को कई जरूरी निर्देश दिये. उन्होंने बाढ़ प्रबंधन सुधार सहायक केंद्र (एफएमआइएससी) द्वारा बाढ़ से सुरक्षा कार्यों व नई तकनीक आधारित अभिनव प्रयोगों की समीक्षा की. साथ ही नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के तहत निर्माणाधीन वाटर नॉलेज सेंटर का स्थल निरीक्षण किया. इस दौरान अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, इंजीनियर इन चीफ (बाढ़ नियंत्रण एवं जल निस्सरण) शैलेंद्र, वित्तीय सलाहकार रवीन्द्र कुमार शंकर, संयुक्त निदेशक (एफएमआइएससी) आलोक कुमार, निदेशक (एमएमसी) आरती सिन्हा सहित विभाग के वरीय अधिकारी मौजूद थे.

पूर्णिया के अमौर में बाढ़ और मुश्किलें

पूर्णिया के अमौर में बाढ़ का पानी गांवों में प्रवेश कर चुका है. विधानसभा क्षेत्र के छह पंचायतों की पचास हजार की आबादी आज भी प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक आवागमन के लिए नाव का सहारा लेने को मजबूर हैं. विधानसभा क्षेत्र के सिरसी पंचायत, खपडा, हफनिया, खाडीमहिनगांव आदि पंचायत के करीब पचास हजार लोगों को जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक जाने के लिए खाडी हाट होते हुए फकीर टोली चौक जाना पड़ता है. फकीरटोली से खाडीहाट जाने वाली सड़क में कनकई नदी पर पुल निर्माण नहीं होने से क्षेत्र वासियों को आवागमन में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. खासकर बाढ के समय स्थिति दूभर हो जाती है. लोगों को राशन पानी एवं आवश्यक वस्तु को ले जाने का एकमात्र सहारा नाव ही है.नाव से आवागमन में कभी भी छोटी मोटी दुर्घटना होती रहती हैं. लोगों के आवागमन की समस्या को देखते हुए वर्ष 2011में कनकई नदी में खाडी घाट पर पुल का निर्माण कार्य आरंभ हुआ. लेकिन 12 साल के बाद भी निर्माण कार्य पूरा नही हो पाया.

Also Read: बिहार: Aimim विधायक के घर में मिले 50 से अधिक कोबरा सांप, अख्तरुल ईमान के घर पहुंचा सपेरा भी रह गया दंग
बारिश ने भी नहीं दी राहत

इस बार मौसम ने भी लोगों का साथ नहीं दिया. खासकर किसानों को काफी परेशानी हो रही है. अधिकांश गांवों में मानसून चक्र टूटने के बाद केवल छिटपुट बारिश होने का सिलसिला लगातार जारी है. इससे जहां एक तरफ किसानों में उनकी खेती गृहस्थी के पटरी पर आने की उम्मीद शेष नहीं बची है. किसानों को उनके लागत के पैसे के भी बर्बाद होने की समस्या ने घेर लिया है. अब किसान लागत जितनी भी आमदनी हो सके, इसके लिए भगवान से गुहार लगाने लगे है. अधिकांश खेतों की नमी बरकरार रहे. इसके जतन के बाद भी फायदा नहीं है. नतीजतन किसानों ने जैसे- तैसे पंपसेट और मोटर के सहयोग से नमी को संजोना पड़ रहा है.

किसानों की चिंता

किसानों को फिक्र है कि उन्होंने किसी तरह धान के बिचड़े की रोपाई तो कर ली. आगे यदि बारिश नहीं हुई तो आमदनी से अधिक खर्च करना पड़ेगा. दूसरी तरफ तेज धूप की तल्खी बरकरार रहने से रोपनी के बाद भी पानी की जरूरत बढ़ने लगी. एक साथ ये विपदाओं के कहर ने सबको मुश्किल में छोड़ दिया है. किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए हैं. वो बताते हैं कि छिटपुट बारिश से गर्मी कम होने के बजाय तेज हो जाती है. कृत्रिम उपायों से थोड़े समय का लाभ मिल पा रहा है. फिर स्थिति जस की तस हो जाती है. उमस बढ़ गई है. बाहर निकलने पर तेज धूप के मार से लोग बीमार भी हो रहे हैं. दिन में चाहने के बाद भी खेतों में जाना मुश्किल हो गया है.

सूबे की नदियां व तालाब लबालब भरे

बता दें कि पिछले दिनों बिहार व नेपाल में लगातार हुई बारिश की वजह से सूबे की नदियों में उफान है. नदी, तालाब व पोखर वगैरह लबालब भरे हुए हैं. नतीजन, डूबने की घटनाएं अब बढ़ गयी है. प्रदेश में कई जगहों से ऐसी खबरें सामने आ रही हैं. बीते दिनों तीन दर्जन से अधिक लोगों की मौत डूबने से हुई. इनमें अधिकतर बच्चे शामिल हैं जो नहाने के दौरान गहरे पानी में डूब गए.

Exit mobile version