बिहार में सोमवार (12 फरवरी) को विधान सभाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य विधान सभा में मौजूद सदस्यों की संख्या पर निर्भर करता है. विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 243 है. इनमें से लालू यादव की पार्टी राजद के पास सबसे ज्यादा 79 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 19 विधायक हैं और वामदलों 16 सदस्य हैं. इस तरह से देखें तो महागठबंधन में कुल विधायकों की संख्या 114 है.
Also Read: Bihar Floor Test Live : जदयू और राजद को दो-दो विधायकों का इंतजार, सेंट्रल हॉल पहुंचे विधायक
दूसरी तरफ एनडीए है. इसमें बीजेपी के पास 78 विधायक, जदयू के पास 45 और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर के चार विधायक हैं. इसके अलावा एक निर्दलीय विधायक का भी उनको समर्थन प्राप्त है. इस तरह से देखें तो सत्ता पक्ष के कुल विधायकों की संख्या 128 है. बिहार में बहुमत का आंकड़ा 122 है.ऐसे में नीतीश कुमार को कोई दिक्कत तो नजर नहीं आ रही है, लेकिन जीतन राम मांझी की पार्टी और निर्दलीय के साथ-साथ जदयू के विधायक अगर पाला बदलते हैं तो फिर बिहार में नया सियासी संकट खड़ा हो जाएगा.
अभी तक जो सूचना है उसके अनुसार भाजपा और जदयू के तीन-तीन विधायक गायब हैं. ऐसी स्थिति में एनडीए विधायकों की संख्या 122 रहेगी. लेकिन हम के चार विधायक भी महागठबंधन की तरफ चले गए तब भी एनडीए के पास 118 विधायक रहेंगे. इसलिए अविश्वास प्रस्ताव तभी गिरेगा जब 14 विधायक सदन से अनुपस्थित रहें या फिर क्रॉस वोटिंग करें.