बिहार: बरसात में लाल हुआ टमाटर, हरा मिर्च और अदरक के भाव भी चढ़े, थाली से गायब हो गयी हरी सब्जी

बिहार में बारिश के बाद सब्जियों के भाव आसमान पर पहुंच गए हैं. ऐसे में हरी सब्जियां मध्यवर्गीय परिवार की थाली से गायब हो गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 9, 2023 6:33 AM

गर्मी के बाद बारिश ने सब्जियों के भाव को और बढ़ा दिया है. इसी तरह हरी मिर्च के दाम भी तेज हो गये हैं. खुदरा बाजार में शनिवार को अदरक की कीमत 300 से 400 रुपये किलो तक पहुंच गयी है. वहीं, हरी मिर्च भी दोहरा शतक लगाने के करीब है. मिर्च की कीमत 180 से 200 रुपये किलों खुदरे में बिक रहा है. टमाटर का दाम भी आसमान छू रहा है. अदरक के भाव में पिछले दो महीने से तेजी है. मई में अदरक का खुदरा रेट बाजार में 200 से 250 रुपये किलो के बीच था. वहीं जून में अदरक 250 से 300 रुपये की दर से बिका, लेकिन जुलाई की शुरूआत में ही अदरक की कीमत 400 रुपये किलो तक पहुंच गयी है. 15 दिन पहले खुदरा बाजार में हरी मिर्च 60 से 80 रुपये किलो की दर से बिक रही थी, लेकिन गर्मी और अब बारिश का असर हरी मिर्च पर भी पड़ गया है. वहीं थोक मंडी में हरी मिर्च की कीमत 120 रुपये से 140 रुपये किलो की बीच रही है.

राहत के लिए करना होगा इंतजार

बाजार के सब्जी व्यवसायिया ने बताया कि मौसम का सबसे ज्यादा असर हरी सब्जियों पर पड़ा है. पहले तो जोरदार गर्मी से फसल जलकर खराब हो गयी. वहीं अब जो फसल खेतों में बची रह गयी थी, उसे बारिश खराब कर रही है. बताया कि हरी मिर्च अदरक सहित सभी हरी सब्जियों के दाम अभी कम नहीं होंगे. सस्ती सब्जियों के लिए लोगों को अभी लंबा इंतजार करना होगा.

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शतक लगाने को बेताब कईं सब्जियां

खुदरा बाजार में कई हरी सब्जियां शतक लगाने को बेताब है. परवल, भिंडी इनमें सबसे आगे है. शनिवार को बाजार में परवल और भिंडी 50 से 80 रुपये किलो की दर से बिके. इसी तरह नेनुआ, करैला सहित अन्य हरी सब्जियों की कीमत भी 50 से 80 रुपये किलो के बीच रही. वहीं टमाटर के भाव 100 रुपये किलो पर स्थिर है.

सब्जी के दाम ने बिगाड़ा किचेन का बजट

हरी सब्जी के बड़े दाम ने कीचेन का बजट बिगाड़ दिया है. जिससे मध्यम वर्गीय परिवार का बजट बिगड़ गया है. गृहिणी बता रही है कि परिवार के मुखिया के आमदनी सीमित है व खर्च बढ़ गया है. बच्चों का स्कूल फीस व अन्य खर्च के लिए पैसे बचाना मुश्किल हो गया है. मजबूरी में थाली से हरी सब्जियां गायब हो गयी हैं. कई परिवार सूखी सब्जी जैसे चना, सोबीन बड़ी आदि खाकर काम चला रहे हैं.

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