Bihar के गया में एक गांव ऐसा, जहां लड़कों के इंतजार में कुंवारी बैठी हैं लड़कियां, जानें इसकी वजह
Bihar के गया में एक गांव ऐसा है, जहां लोग अपने बेटे-बेटियों की शादी नहीं करना चाहते. जो पुराने रिश्तेदार हैं उन्होंने भी गांव में आना छोड़ दिया है. कारण ये है कि आजादी के 75 वर्षों के बाद भी इस गांव में सड़क और मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. लोग गांव से अपना नाता छिपाकर बच्चों की शादी करा रहे हैं.
Bihar के गया में एक गांव ऐसा है जहां लोग अपने बेटे-बेटियों की शादी नहीं करना चाहते. जो पुराने रिश्तेदार हैं उन्होंने भी गांव में आना छोड़ दिया है. कारण ये है कि आजादी के 75 वर्षों के बाद भी इस गांव में सड़क और मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है. थोड़ी सी बारिश के बाद कच्ची सड़क कीचड़ से भर जाती है. इस कारण से लड़की वाले ऐसे पिछड़े गांव में अपनी बेटी नहीं देना चाहते, वहीं लड़के वाले बारात लेकर आने से कतराते हैं. लिहाजा गांव के लोग शहर या रिश्तेदार के घर जाकर मुश्किल से बच्चों की शादी करा रहे हैं.
खटिया पर लादकर बीमार को पहुंचते हैं अस्पतालगया जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर गुरारू प्रखंड के बरोरह पंचायत के अलीगंज, महुगायींन, तरौंची और रौंदा गांवों में आजादी के 75 वर्षों के बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. स्थानीय ग्रामीणों में जनप्रतिनिधियों के लिए आक्रोश है. उनका कहना है कि विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनाव, पंचायत चुनाव के समय वोट प्रतिनिधि वोट मांगने आते है. बदले में उन्हें कोरा आश्वासन देकर चले जाते है. बरसात के दिनों में लोग अपने घरों में कैद हो जाते है. गांव के कच्चे रास्ते पर सिर्फ कीचड़ भरा रहता है. गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसे खटिया पर डालकर चार लोग उठाकर अस्पताल पहुंचाते हैं.
गांव के लोग सभी सरकारी योजनाओं से भी दूर हैं. गांव में नल जल योजना तक नहीं पहुंची है. लोग चापाकल और तालाब का पानी पीते हैं. गांव के स्कूल की शिक्षिका बताती है कि बारिश होने के बाद महिलाओं को कपड़ा उठाकर सड़क पर चलना पड़ता है. काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है. बच्चे भी उसी कीचड़ में घुस कर पढ़ने आते है. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि अगर अक्टूबर तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ तो सभी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करेंगे.