पटना. भीषण गर्मी में बिजली की कटौती ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. बुधवार को केंद्रीय कोटे से करीब सात सौ मेगावाट कम बिजली मिलने का असर आपूर्ति व्यवस्था पर दिखा. बिजली कंपनी ने खुले बाजार से खरीद कर आपूर्ति बरकरार रखनी चाहिए, लेकिन बिजली उपलब्ध नहीं होने के चलते खरीद नहीं हो सकी.
कंपनी अधिकारियों के अनुसार एनटीपीसी की बाढ़ व कहलगांव की एक यूनिट बंद हो गयी. इस कारण राज्य को केंद्रीय कोटे से लगभग सात सौ मेगावाट कम बिजली मिली. केंद्रीय सेक्टर से कम बिजली मिलने के कारण कंपनी ने खुले बाजार से दो हजार मेगावाट बिजली लेने के लिए बोली लगायी. लेकिन, बाजार में बिजली उपलब्ध नहीं होने के कारण बिहार को मात्र नौ सौ मेगावाट ही बिजली मिल सकी.
इस कारण स्थिति यह हो गयी कि आम तौर पर दिन में ही पांच हजार मेगावाट तक बिजली उपलब्ध कराने वाली कंपनी रात में भी इतनी बिजली नहीं दे सकी. बुधवार को पीक आवर में पूरे बिहार को बमुश्किल 4900 मेगावाट बिजली मिल सकी, जबकि औसतन राज्य में अभी 6200 मेगावाट से अधिक बिजली आपूर्ति की जाती है. लू के साथ भीषण गर्मी के बीच बिजली कटौती से लोगों का बुरा हाल रहा.
जानकारी के अनुसार, बिहार में फिलहाल 6200 से 6400 मेगावाट बिजली की जरूरत है. दूसरी तरफ, मांग के मुकाबले लगभग 1000 मेगावाट बिजली की कम आपूर्ति की जा रही है. बिहार को फिलहाल 5300 मेगावाट बिजली ही मिल रही है. दरअसल, बिहार सरकार और एनटीपीसी के बीच 5200 मेगावाट बिजली उपलब्ध कराने का करार है, लेकिन बिजली उत्पादक कंपनी की ओर से फिलहाल 4100 मेगावाट बिजली की ही आपूर्ति की जा रही है. यदि यही स्थिति बरकरार रही तो आने वाले समय में प्रदेश में बिजली आपूर्ति की समस्या गहरा सकती है. आनेवाले दिनों में बिजली की मांग बढ़ने की संभावना जतायी जा रही है.
गर्मी के मौसम में बिहार में बिजली की आपूर्ति मांग के मुकाबले कम होना चिंता का सबब बना हुआ है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि फिलहाल प्रदेश को अन्य स्रोतों से कितनी मात्रा में बिजली की आपूर्ति हो रही है. दरअसल, बिहार सरकार और एनटीपीसी के बीच 5200 मेगावाट बिजली मुहैया कराने को लेकर करार है. इसके अलावा बिहार को पवन ऊर्जा से 250 मेगावाट और सौर ऊर्जा से 300 मेगावाट बिजली मिलती है. बिहार सरकार प्राइवेट कंपनियों से भी बिजली आयात करती है.