बिहार: नक्सलियों को सरेंडर करने पर 5 लाख, हथियार सौंपने पर इंसेंटिव अलग, जानिए क्या है सरकारी योजना

बिहार में नौ वर्षों में 98 वामपंथी उग्रवादियों ने सरेंडर किया है. वामपंथी उग्रवादियों के आत्मसमर्पण व पुनर्वास को लेकर सूबे में 2013 से योजना चल रही है. सरेंडर करने पर उन्हें पांच लाख रुपए तक देने का प्रावधान है. हथियारों के सरेंडर करने पर अलग इन्सेंटिव भी दिया जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 23, 2023 10:32 AM

Bihar Naxalite News: बिहार में वामपंथी उग्रवादियों के आत्मसमर्पण व पुनर्वास को लेकर सूबे में 2013 से चलायी जा रही आत्मसमर्पण सह पुनर्वास योजना के तहत अब तक 98 वामपंथियों ने आत्मसमर्पण किया है. राज्यस्तरीय आत्मसमर्पण सह पुनर्वास समिति ने इनमें से 42 को पुनर्वास योजना का लाभ स्वीकृत किया है. वहीं, 30 वामपंथियों को पुनर्वास का लाभ देने के लिए डीएम की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी के स्तर पर कार्रवाई प्रक्रियाधीन है. इनके साथ ही आत्मसमर्पण किये सात वामपंथी उग्रवादी की गतिविधियां संदिग्ध पाये जाने के कारण उनका लाभ अस्वीकृत कर दिया गया है.

सरेंडर करने पर पांच लाख रुपए तक  पाते हैं नक्सली

बिहार पुलिस के एडीजी (मुख्यालय) जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य उन नक्सलियों की सहायता करना है, जो हिंसा का त्याग कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ना चाहते हैं. योजना में उच्च श्रेणी के नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर पांच लाख रुपये तथा अन्य श्रेणी के नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर 2.5 लाख रुपये दिये जाने की व्यवस्था है. विभिन्न प्रकार के हथियारों के सरेंडर करने पर अलग इन्सेंटिव दिये जाने का प्रावधान है.

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आइटीआइ में भी दाखिला

एडीजी ने बताया कि योजना के अंतर्गत योग्य व्यक्ति शुरुआत में पुनर्वास केंद्र में रहेंगे, जहां उन्हें उनकी रुचि एवं योग्यता के अनुसार विभिन्न व्यवसायों का प्रशिक्षण दिया जायेगा. इस अवधि में उन्हें प्रतिमाह छहहजार रुपये भत्ता अधिकतम तीन वर्षों के लिए देय होगा. आत्मसमर्पण किये वामपंथी उग्रवादियों को व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए आइटीआइ में प्रवेश हेतु वांछित योग्यता में अलग से छूट दी जाती है. प्री-आइटीआइ कोर्सकी भी व्यवस्था की गयी है. इसके लिए नौ आइटीआइ एवं 11 कौशल विकास केंद्र राज्य में चिह्नित हैं.

नक्सल प्रभावित जिले आधे से भी हुए कम

एडीजी मुख्यालय ने बताया कि 2012 से 2018 तक सूबे के 22 जिले नक्सल प्रभावित थे, जिनकी संख्या घट कर पहले 16 और फिर जुलाई 2021 से अभी तक मात्र 10 रह गयी है. इन दस जिलों में एसआरइ यानी सिक्यूरिटी रिलेटेड एक्सपेंडीचर योजना चल रही है.

मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2004 से अप्रैल 2012 तक सूबे के मात्र 14 जिले ही नक्सल प्रभावित थे. उन्होंने बताया कि 2006 से फरवरी 2021 तक कुल 279 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनको पुनर्वास योजना के तहत लाभान्वित किया जा रहा है. 2016 में शिवहर जिले में जिला स्तरीय नौकायन, तैराकी एवं जल क्रीड़ा प्रतियोगिता के दौरान 17 वामपंथी उग्रवादियों ने तो बिना लाभ की शर्त पर आत्मसमर्पण किया था.

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