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बिहार में कुपोषण पर सरकार और यूनिसेफ ने बनायी व्यवस्था, आपको करना होगा ये काम

बिहार में शून्य से छह साल तक के बच्चों की अब प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में वृद्धि की निगरानी की जायेगी. इसे फरवरी से शुरू किया जायेगा, जिसे वजन सप्ताह या वृद्धि निगरानी सप्ताह के रूप में मनाया जायेगा. कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों की वृद्धि की बेहतर निगरानी करने की है.

बिहार में शून्य से छह साल तक के बच्चों की अब प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में वृद्धि की निगरानी की जायेगी. इसे फरवरी से शुरू किया जायेगा, जिसे वजन सप्ताह या वृद्धि निगरानी सप्ताह के रूप में मनाया जायेगा. कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों की वृद्धि की बेहतर निगरानी करने की है. आइसीडीएस के निदेशक कौशल किशोर ने इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किया है. योजना के छह मुख्य घटकों में वृद्धि निगरानी एक महत्वपूर्ण घटक है. बच्चों के लिए छह साल तक का समय महत्वपूर्ण होता है. विशेषकर दो साल तक के बच्चों की निगरानी अधिक जरूरी हो जाती है. वहीं, बच्चों की वृद्धि निगरानी के जरिए कुपोषित एवं अति-कुपोषित बच्चों की पहचान होगी एवं उन्हें बेहतर रेफरल सेवाएं प्रदान की जा सकेगी. वृद्धि निगरानी सप्ताह मनाने का उद्देश्य यह भी है कि बच्चों के अभिभावकों को समयपर सुधार के लिए परामर्श दिया जा सके.

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कुपोषण से निजात दिलाने में मिलेगी सहायता

यूनिसेफ की पोषण पदाधिकारी शिवानी डार ने बताया कि आंगनबाड़ी सेवाओं में वृद्धि निगरानी एक प्रमुख सेवा है. बच्चों के शारीरिक वृद्धि से मानसिक विकास भी संबंधित है. प्रत्येक माह वृद्धि निगरानी करने से हम सही समय पर वृद्धि अवरोधों को जान सकते हैं. इससे सही समय पर इसका निदान भी किया जा सकता है. उम्र के हिसाब से बच्चों के वजन, लंबाई एवं ऊंचाई में वृद्धि होती है. इसलिए नियमित अंतराल पर बच्चों की वृद्धि की सही निगरानी करना जरूरी है. छोटे बच्चों में शारीरिक वृद्धि बहुत तेजी से होती है. इसे ध्यान में रखते हुए दो साल से कम उम्र के बच्चों की वृद्धि की शत-प्रतिशत निगरानी करनी अधिक महत्वपूर्ण होती है. गरीब समुदाय या सुदूर क्षेत्र में रहने वाले बच्चों में कुपोषण की संभावना अधिक होती है.

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