पटना. राज्य सरकार सूबे में शराबबंदी के बाद इसकी वजह से हुए सामाजिक व आर्थिक बदलाव का सर्वेक्षण करायेगी. सैंपल सर्वे के माध्यम से देखा जायेगा कि बिहार की मद्य निषेध नीति का शराब पीने, पिलाने वालों से लेकर सामान्य लोगों पर कितना असर पड़ा. शराबबंदी ने उनके सामाजिक व आर्थिक स्थिति को कितना प्रभावित किया. वर्ष 2016 में नयी मद्य निषेध नीति लागू होने के बाद यह दूसरा मौका होगा, जब राज्य सरकार इस तरह का सर्वेक्षण करा रही है.
मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने बताया कि सर्वेक्षण की जिम्मेदारी चाणक्य राष्ट्रीय विधि संस्थान (सीएनएलयू) के पंचायती राज पीठ को दी गयी है. इसके लिए उनको करीब 30 लाख रुपये का भुगतान किया गया है. एएन सिन्हा संस्थान भी इस अध्ययन रिपोर्ट को तैयार करने में उनका सहयोग करेगा.
आयुक्त ने बताया कि यह रिपोर्ट दो माह में तैयार की जायेगी. इसके लिए राज्य के विभिन्न जिलों में जाकर सैंपल सर्वे किया जायेगा. शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग खुद बतायेंगे कि शराबबंदी ने उनके जीवन पर कितना असर डाला
राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में शराबबंदी कानून लागू किये जाने के छह माह बाद भी सर्वे कराया था. उस समय यह सर्वे एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीच्युट (आद्री) ने किया था. इसके लिए राज्य को पांच जोन में बांटकर सर्वे किया गया था. इसमें शराबबंदी के बाद सामाजिक, आर्थिक के अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की बात सामने आयी थी. खासकर महिलाओं के जीवन में इसका बड़ा सकारात्मक असर देखने को मिला था.
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– महिलाओं की स्थिति में कितना सुधार
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– शराबियों व उनके परिवार के निर्णय लेने की क्षमता में क्या बदलाव हुआ
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– लोगों की जीवनशैली कितनी बदली
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– पारिवारिक खर्च की स्थिति में कितना अंतर आया
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– खान-पान के तरीके कितने बदले
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– स्वास्थ्य पर कितना असर पड़ा
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– शिक्षा की स्थिति में क्या बदलाव हुआ
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– महिला हिंसा आदि में कितनी कमी रही आदि