पटना. सरकार पंचायत प्रतिनिधियों की ताकत और जिम्मेदारी बढ़ाने जा रही है. सालों पुराने चकबंदी अधिनियम में संशोधन कर पंचायतों के चुने हुए प्रतिनिधि को गांव की चकबंदी सलाहकार समिति का पदेन सदस्य बनाने पर विचार किया जा रहा है.
राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने संशोधन का प्रस्ताव तैयार कर लिया है. चकबंदी के बाद नये बने चकों पर दखल-कब्जा दिलाने के काम में एसडीओ और डीसीएलआर शामिल किया जायेगा. चकबंदी कानून के तहत प्रत्येक पंचायत में चकबंदी एडवाइजरी कमेटी गठित होने का प्रावधान है.
इसका काम चकबंदी की प्रक्रिया को सुचारु रूप से संचालित करने में मदद के साथ- साथ अधिकारियों को जरूरी सलाह देना है. अभी तक यह कमेटी अधिकारियों की कृपा पर निर्भर थी. यानि एडवाइजरी कमेटी चकबंदी पदाधिकारी गठित करते आ रहे हैं. अधिकारी पर निर्भर है कि वह गांव के किस व्यक्ति को सदस्य बनाते हैं.
प्रस्तावित संशोधन पर सरकार की मुहर लगते ही मुखिया, सरपंच, पंच, वार्ड सदस्य व पंचायत समिति सदस्य ही अपने- अपने गांव की चकबंदी सलाहकार समिति के पदेन सदस्य होंगे. पिछले दिनों चकबंदी एक्ट में हुए संशोधन को विधि विभाग को प्रस्तावित किया जा चुका है. विधि विभाग की सहमति भी मिल गयी है. अब सरकार की मंजूरी का इंतजार है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री राम सूरत कुमार ने कहा कि चकबंदी के बाद कोई भी व्यक्ति भूमि की जानकारी ले सकेगा. उसका मालिक कौन है यह भी पता चल जायेगा. म्युटेशन आदि काम में सहूलियत होगी. जमीन का अधिग्रहण करने में भी कोई दिक्कत नहीं आयेगी.
Posted by Ashish Jha