पटना. प्रदेश में निर्यात को प्रोत्साहित करने की कार्ययोजना बनायी गयी है. उद्योग विभाग की तरफ से बनाये गये ब्लूप्रिंट के मद्देनजर प्रदेश के प्रत्येक जिले में जिला संवर्धन समिति का गठन किया जा चुका है. कार्ययोजना के मुताबिक गैर कृषि उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करने की रणनीति पर अमल किया जाना है.
इस संदर्भ में खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय ने जिलों के उद्योग महाप्रबंधकों को जरूरी दिशा -निर्देश जारी किये हैं. दरअसल उद्योग विभाग ने माना है कि निर्यात को बिना प्रोत्साहित किये आर्थिक तरक्की नहीं हो सकती है.
लिहाजा प्रदेश में ऐसे उत्पादों का निर्माण हो, जिनकी दुनिया के तमाम देशों में मांग हो, ऐसा करके राज्य को विकसित राज्यों की कतार में खड़ा किया जा सकता है. खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय ने जिला उद्योग महाप्रबंधकों से जीअो टैगिंग से संबंधित निर्यात योग्य कृषि उत्पादों की पहचान करने के लिए कहा है. साथ ही पूछा है कि संबंधित जिलों में किसी गैर कृषि उत्पादों का निर्यात हो रहा है या नहीं. अगर हो रहा है तो ऐसे निर्यातकों की जानकारी चाही है, ताकि उन्हें जरूरी मदद की जा सके.
खाद्य प्रसंस्करण निदेशालय ने साफ कर दिया है कि एक्सपोर्ट हब और वन डिस्ट्रिक,वन प्रोडक्ट दो अलग-अलग विषय हैं. एक्सपोर्ट हब में वह उत्पाद होते हैं, जिसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान पहले से ही हो, जैसे कि मधुबनी पेंटिंग और भागलपुरी सिल्क आदि. वहीं, वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट के तहत जिले के ऐसे उत्पाद पहचाने जाते हैं, जिनके निर्यात की संभावना हो.
वित्तीय वर्ष 2017-18 में बिहार से विभिन्न उत्पादों का निर्यात 1.35 अरब अमेरिकी डॉलर था. वित्तीय वर्ष 2012-13 के दौरान बिहार से महज 0.4 अरब डॉलर का निर्यात होता था. वित्तीय वर्ष 2018-2019 में मंदी और 2019-20 से अब तक कोविड संक्रमण के चलते आर्थिक बंदी की वजह से निर्यात प्रभावित हुआ है. अब भी राज्य से निर्यात में 90 करोड़ डाॅलर की वृद्धि की संभावना है.
निर्यात की यह जानकारी भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्जम बैंक) के एक शोध अध्ययन पर आधारित है. 2019 में पटना में आयोजित एक आर्थिक सेमिनार में यह आंकड़ा प्रस्तुत किया गया था. इस शोध पत्र में बताया गया था कि बिहार में इतनी संभावना है कि यहां अभी 90 करोड़ डॉलर मूल्य के अतिरिक्त माल का निर्यात किया जा सकता है. इसे सालाना दो अरब डॉलर के स्तर पर ले जाया जा सकता है.
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मुजफ्फरपुर और भागलपुर में अंतर्देशीय कंटेनर डिपो (आइसीडी) स्थापित हो.
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पटना के मौजूदा आइसीडी में एक कस्टम क्लीयरेंस ऑफिस बने.
राज्य में वेयर
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हाउसिंग और कोल्ड चेन का बने बुनियादी ढांचा.
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पटना, मुजफ्फरपुर और भागलपुर जिलों में बनाये जायें विशेष आर्थिक क्षेत्र.
निर्यातकों की
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लागत को कम करने के लिए उन्हें ढुलाई भाड़ा सहायता दी जाये.
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राज्य में जीआइ उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग प्रबंध किया जाये.
Posted by Ashish Jha