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गुरूजी को नंबर देगें सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्र, जानें क्या है 360 डिग्री फीडबैक स्कोर

सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की ग्रेडिंग तय करने में एआइसीटीइ ने छात्रों को बड़ी जिम्मेदारी दी है. इंजीनियरिंग के छात्र संस्थान के साथ ही शिक्षकों का भी मूल्यांकन करेंगे. एआइसीटीइ ने सभी तकनीकी संस्थानों के लिए 360 डिग्री फीडबैक स्कोर तैयार करने का निर्देश दिया है.

धनंजय पांडेय, मुजफ्फरपुर

सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों की ग्रेडिंग तय करने में एआइसीटीइ ने छात्रों को बड़ी जिम्मेदारी दी है. इंजीनियरिंग के छात्र संस्थान के साथ ही शिक्षकों का भी मूल्यांकन करेंगे. एआइसीटीइ ने सभी तकनीकी संस्थानों के लिए 360 डिग्री फीडबैक स्कोर तैयार करने का निर्देश दिया है, जिसमें 100 में 25 प्वाइंट्स छात्र-छात्राओं की राय पर ही मिलेंगे. शिक्षकों की पढ़ाने की शैली के साथ ही सिलेबस के अनुसार कोर्स कवर कराने और स्किल डेवलपमेंट से जुड़ी गतिविधियों पर छात्र-छात्राओं के विचार अब इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए अहम होंगे. नौ बिंदुओं पर स्टूडेंट्स फीडबैक लिया जाना है. हालांकि इसमें उन्हें सीधे प्वाइंट्स नहीं देना है, बल्कि ग्रेडिंग करना है. यानी संबंधित सवालों का जवाब वेरी पुअर, पुअर, गुड, वेरी गुड या एक्सीलेंट में देना है.

शिक्षकों से जुड़े होंगे सवाल

छात्र फीडबैक में ज्यादातर सवाल शिक्षकों से ही सीधे जुड़े होंगे. फॉर्मेट में पहला सवाल है कि क्या शिक्षक ने यूनिवर्सिटी या कॉलेज से निर्धारित सिलेबस पूरा करा दिया है? दूसरा सवाल होगा कि क्या शिक्षक ने सिलेबस के महत्वपूर्ण टॉपिक्स कवर कर लिया है? इसके बाद टेक्निकल कंटेंट, कम्युनिकेशन स्किल और शिक्षण कला के प्रभाव पर राय देनी है. छात्र के स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में प्रैक्टिकल डेमोंस्ट्रेशन व ट्रेनिंग के प्रभाव के साथ ही उनके अभिव्यक्ति की स्पष्टता के बारे में भी सुझाव लिये जायेंगे. एआइसीटीइ की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि यह सुझाव संबंधित शैक्षणिक सत्र में नामांकित संस्थान के सभी कोर्स के छात्र-छात्राओं से लिया जायेगा.

शिक्षण कार्य से जुड़ा है स्कोर का 50 प्वाइंट

360 डिग्री फीडबैक का 50 प्वाइंट शिक्षण कार्य से ही जुड़ा है. कुल 100 अंक पर ग्रेडिंग की जानी है. इसमें 25 प्वाइंट स्टूडेंट फीडबैक का है और 25 प्वाइंट टीचिंग प्रोसेस के लिए निर्धारित है. इसके अलावा डिपार्टमेंटल एक्टिविटी पर 20 प्वाइंट्स है. वहीं, इंस्टीट्यूट की एक्टिविटी, एसीआर व कंट्रीब्यूशन ऑफ सोसायटी के लिए 10-10 प्वाइंट तय किये गये हैं. कंट्रीब्यूशन ऑफ सोसाइटी में भी छात्रों की ही भागीदारी होनी है. यानी, सामाजिक कार्यों में छात्रों द्वारा हासिल प्वाइंट्स के आधार पर इसके अंक तैयार किये जायेंगे.

शिक्षकों पर रहेगा बेहतर आउटपुट देने का दबाव

शिक्षण संस्थानों की ग्रेडिंग में छात्रों का फीडबैक शामिल किये जाने के बाद शिक्षकों पर बेहतर आउटपुट देने का दबाव रहेगा. इससे बेहतर शैक्षणिक माहौल तैयार हो सकेगा. एमआइटी के पूर्ववर्ती छात्र व वर्तमान में दिल्ली फार्मास्युटिकल साइंसेज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी के एआइसीटीइ वर्क्स को-ऑर्डिनेटर डॉ अजीत कुमार ठाकुर का कहना है कि सरकारी तकनीकी संस्थानों के लिए यह अच्छी पहल है. एआइसीटीइ 360 डिग्री फीडबैक के आधार पर संस्थानों की ग्रेडिंग करता है. इसमें सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर स्कोरिंग की जाती है.

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