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बिहार में मुखिया जी रोकेंगे बाल विवाह नहीं तो खोयेंगे कुर्सी, सरकार ने सौंपी नयी जिम्मेदारी

मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा वर्ष 2021-22 में बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के गंभीर मुद्दों पर सकारात्मक माहौल तैयार करने के लिए पूरे राज्य में समाज सुधार अभियान प्रारंभ किया गया है.

बिहार सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए के राज्य के सभी मुखिया के लिए अब एक नई जिम्मेदारी तय की है. नीतीश सरकार ने राज्य में अब बाल विवाह और दहेज उन्मूलन को प्रभावी बनाने के लिए सभी पंचायतों के मुखिया और दूसरे जन प्रतिनिधियों को नई जिम्मेदारी सौंपी है. पंचायती राज विभाग के मंत्री सम्राट चौधरी ने इससे संबंधित निर्देश दिया है.

बाल विवाह एवं दहेज प्रथा गंभीर सामाजिक बुराई

मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है की बाल विवाह एवं दहेज प्रथा गंभीर सामाजिक बुराई है, जिसे दूर किये बिना सशक्त समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा की हर बच्चे को पूरी तरह से विकसित होने का अधिकार होता है परंतु बाल विवाह की वजह से कई बच्चों के लिए यह मुमकिन नहीं हो पाता है. कम उम्र में बच्चों का विवाह संविधान के मौलिक अधिकारों का भी हनन है.

पूरे राज्य में समाज सुधार अभियान प्रारंभ किया गया

मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा वर्ष 2021-22 में बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के गंभीर मुद्दों पर सकारात्मक माहौल तैयार करने के लिए पूरे राज्य में समाज सुधार अभियान प्रारंभ किया गया है. बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा 22 (XX) और धारा 47 (20) के अंतर्गत क्रमशः ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति को महिला एवं बाल कार्यक्रमों में सहभागिता करने का दायित्व सौंपा गया है.

बाल विवाह को रुकवाने का काम करेंगे मुखिया 

इस नए अधिनियम के तहत कहा गया है की बाल विवाह से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर मुखिया द्वारा इसकी त्वरित सूचना प्रखंड विकास पदाधिकारी (सहायक बाल विवाह निषेध पदाधिकारी) तथा अनुमंडल पदाधिकारी (बाल विवाह निषेध पदाधिकारी) को देते हुए बाल विवाह को रुकवाने का काम करेंगे. इसके साथ ही दहेज लेन-देन से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर जिला कल्याण पदाधिकारी (दहेज प्रतिषेध पदाधिकारी) को सूचित करते हुए कार्रवाई से अवगत करायेंगे.

जन प्रतिनिधियों की यह भी जिम्मेदारी होगी की बाल विवाह होने की सूचना प्राप्त होते ही संबंधित परिवार के घर पहुंचकर अभिभावकों को समझाए और ऐसा न करने की सलाह दे. अगर अभिभावक नहीं मानते हैं तो स्थानीय थाना एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी (प्रखंड विकास पदाधिकारी/अनुमंडल पदाधिकारी) को तुरंत सूचना देंगे और विवाह रुकवाने में उनका सहयोग करेंगे.

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पद से भी हट सकते हैं मुखिया 

इसी अधिनियम में यह भी कहा गया है कि ग्राम पंचायत के किसी वार्ड में बाल विवाह का मामला प्रकाश में आने की स्थिति में संबंधित वार्ड सदस्य एवं मुखिया जिम्मेवार माने जायेंगे एवं अपने कर्तव्यों का सम्यक निर्वहन नहीं करने के आरोप में मुखिया को पद से हटाने की कार्रवाई भी सरकार द्वारा की जा सकती है.

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