बिहार सरकार के पास विमान तो है पर पायलट नहीं, कैबिनेट की मंजूरी के एक साल बाद भी नहीं आया नौकरी का विज्ञापन
स्थिति यह है कि पायलट पद के लिए सरकार ने वेतनमान बढ़ाकर पांच लाख पांच हजार प्रति माह निर्धारित किया गया है. कैबिनेट ने नवंबर 2022 में इसकी स्वीकृति भी दे दी है. इसके बावजूद अब तक इस पद के लिए विज्ञापन प्रकाशित कर उसका इंटरव्यू भी नहीं किया गया है.
पटना. राज्य सरकार के सिविल विमानन निदेशालय के वायुयान संगठन के निदेशक संचालन सह मुख्य विमान चालक पद पिछले कुछ वर्षों से रिक्त है. स्थिति यह है कि इस पद के लिए सरकार ने वेतनमान बढ़ाकर पांच लाख 50 हजार मासिक कर दिया है. इसमें निदेशक संचालन सह मुख्य विमान चालक को पारिश्रमिक के रूप में ढाई लाख प्रति माह (पांच प्रति वार्षिक वृद्धि) के अलावा दो लाख 75 हजार प्रति माह विशेष भत्ता और 2500 रुपये प्रति घंटा की दर से न्यूनतम 25000 विशेष उड़ान भत्ता अर्थात कुल मिलाकर पांच लाख पांच हजार प्रति माह निर्धारित किया गया है. कैबिनेट ने नवंबर 2022 में इसकी स्वीकृति भी दे दी है. इसके बावजूद अब तक इस पद के लिए विज्ञापन प्रकाशित कर उसका इंटरव्यू भी नहीं किया गया है.
संविदाकर्मी को सेवा विस्तार देकर तीन वर्षों से चल रहा काम
नियमित नियुक्ति नहीं होने का परिणाम है कि बिहार उड्डयन संस्थान, पटना के सेवा निवृत्त मुख्य उड्डयन प्रशिक्षक कैप्टन शिव प्रकाश को सात नवंबर 2023 को संविदा पर नियोजन की तिथि से अगले तीन माह तक के लिए अपने कार्यों के अतिरिक्त निदेशक, संचालन सह मुख्य विमान चालक, राजकीय वायुयान संगठन, सिविल विमानन निदेशालय का प्रभार दिया गया है. जानकारों का कहना है कि सिविल विमानन विभाग के दो अंग हैं. इसमें बिहार उड्डयन संस्थान जिसका मुख्य काम है कि पायलट का प्रशिक्षण कराना और प्रमाण पत्र जारी किया जाना. इस संस्थान का दूसरा अंग है वीआइपी विंग. वीआइपी विंग को ही राज्य सरकार के विमान और हेलीकॉप्टर के संचालन की जिम्मेदारी है. इस विंग में इंजीनियर तो हैं पर पायलट नहीं हैं.
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नौ पदों में पायलट के सभी पद खाली
सिविल विमानन निदेशालय के दो विंग हैं, जिनमें वायुयान संगठन और बिहार उड्डयन संस्थान काम करते हैं. वायुयान संगठन वीआइपी व वीवीआइपी उड़ानों का संचालन और मेंटनेंस करता है. संगठन को संचालित करने के लिए नौ पदों की स्वीकृति दी गयी है. इसमें एक निदेशक संचालन सह मुख्य विमान चालक, उसके नीचे अपर निदेशक संचालन सह वरीय अपर मुख्य विमान चालक का एक पद, उसके नीचे संयुक्त निदेशक सह मुख्य विमान चालक का एक पद, फिर दो राजकीय विमान चालक और चार विमान चालक के पद शामिल हैं. इन नौ पदों में किसी भी पद पर पायलट की नियुक्ति नहीं की गयी है. जानकारों का कहना है कि अभी इस पद के लिए देश में योग्य पायलटों की कमी नहीं है. सरकार सैनिक व असैनिक क्षेत्र के सेवानिवृत्त पायलटों को इस कार्य के लिए नियोजित कर सकती है. इससे सरकार को वीआइपी विंग में अपना पायलट होगा जो सरकारी विमान और हेलीकॉप्टरों का उड़ान कराया जा सकता है.
क्या है पूरा मामला
राज्य सरकार के पास अपने दो विमान और दो हेलीकाप्टर हैं, पर उसे उड़ाने के लिए स्थायी पायलट नहीं हैं. करीब चार साल से सरकार के सिविल विमानन निदेशालय के वायुयान संगठन के पास अपना एक भी पायलट नहीं है. पायलट के रिक्त पदों को देखते हुए राज्य सरकार संविदा के आधार पर निदेशक संचालन सह मुख्य विमान चालक के पद पर संविदा के आधार पर नियुक्ति करने की तैयारी कर रही है. इसको कैबिनेट ने स्वीकृति दी है. इस पद पर नियुक्ति को लेकर अब तक विज्ञापन जारी नहीं किया गया है. विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी द्वारा इसकी नियुक्ति करनी है.
संविदा पर नियुक्ति का फैसला
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जून 2019 के बाद से निदेशक संचालन सह मुख्य विमान चालक के पद पर कार्यरत पदाधिकारी की सेवानिवृत्ति के बाद से नयी नियुक्ति नहीं की गयी. इस पद को अपर निदेशक संचालन सह वरीय अपर मुख्य विमान चालक को प्रोन्नति से भरना था. नीचे के किसी भी पद पर पदाधिकारियों के नहीं रहने का परिणाम है कि अब नियमित नियुक्ति होने तक संविदा पर निदेशक संचालन सह मुख्य विमान चालक की नियुक्ति का फैसला लिया गया हैं.
एक विमान पूरी तरह खराब, दूसरा भी हुआ बेकाम
राज्य सरकार के पास दो प्लेन और दो हेलीकॉप्टर हैं. इनमें से एक विमान पूरी तरह से ग्राउंड हो चुका है, जबकि दूसरे विमान ऑपरेशनल है. इधर, सरकार के पास दो हेलीकॉप्टर हैं, जिनमें एक बहुत पहले ही ग्राउंड हो चुका है,जबकि दूसरा हेलीकॉप्टर पिछले वर्ष मुजफ्फरपुर में उतरने के बाद उड़ान ही नहीं भर सका. इसे बाद में ट्रक पर लाद कर पटना स्टेट हैंगर में ग्राउंड कर दिया गया है.