पटना : पत्थर और बालू खदानों के प्रबंधन में विभागीय लापरवाही से सरकार को 877.07 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है. विधानमंडल के दोनों सदनों में सीएजी रिपोर्ट पेश की गयी. सीएजी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. रिपोर्ट में दो टूक लिखा है कि खनन विभाग ने उपलब्ध खनन क्षेत्र से कम क्षेत्र की खदानों की लीज की. खदानों का कुप्रबंधन किया गया
रिपोर्ट के मुताबिक पत्थर खदानों की बंदोबस्ती में लापरवाही बरती गयी. यह लापरवाही गया,रोहतास और औरंगाबाद जिलों में बरती गयी. इसकी वजह से राज्य सरकार को 710.18 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है. उल्लेखनीय है कि लेखा परीक्षा में उजागर हुआ कि कि जनवरी 2017- स अक्तूबर 2018 के बीच टास्क फोर्स ने रोहतास जिले में 4.34 करोड़ का अवैध पत्थर जब्त किया गया. यह इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि खदानों की बंदोबस्ती करने में लापरवाही की गयी.पत्थर के कुछ खनन क्षेत्रों की बंदोबस्ती नहीं की गयी. इसकी वजह से 196.27 करोड़ का राजस्व नहीं वसूला जा सका. इसी तरह गया जिले में 3247 छापों में पत्थर की जब्ती से करीब 4.12 करोड़ की राशि बतौर अर्थदंड वसूली गयी. आकलन के मुताबिक राजस्व क्षेत्र की बंदोबस्ती न करने से 488.23 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ था. इसी तरह औरंगाबाद में भी करीब 25.68 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है.
जहां तक बालू घाटों का सवाल है, विभागीय अफसरों की तरफ से कमजोर निगरानी एवं मॉनीटरिंग में लापरवाही की वजह से 2016-18 के बीच 166.89 करोड़ के राजस्व की हानि हुई है. उल्लेखनीय है कि राज्य के 14 जिलों में बालू बंदोबस्ती की जांच की गयी. इसमें पांच जिलों में अनियमितता पायी गयी. लेखा रिपोर्ट के मुताबिक जमुई, लखीसराय, सहरसा,गोपालगंज और सिवान में बालू घाटों की बंदोबस्ती में अनियमितता पायी गयी है.
एजी रिपोर्ट में सरकार से अनुशंसा की गयी है कि सरकार को चाहिए कि वह बंदोबस्ती में हुए कुप्रबंधन के कारणों का पता लगाने, हर स्तर पर अधिकारी की जिम्मेदारी तय करने के लिए विजिलेंस जांच कराना चाहिए