कोरोना का खौफ, बिहार में महामारी एक्ट लगा सकती है राज्य सरकार

कोरोना वायरस को लेकर राज्य सरकार किसी भी तरह के प्रभावी कदम उठाने के लिए महामारी एक्ट 1897 को लागू करने की तैयारी कर रही है

By Rajat Kumar | March 17, 2020 6:28 AM

पटना : कोरोना वायरस को लेकर राज्य सरकार किसी भी तरह के प्रभावी कदम उठाने के लिए महामारी एक्ट 1897 को लागू करने की तैयारी कर रही है. इसके लागू होते ही सरकार को यह अधिकार हो जायेगा कि वह किसी भी मॉल, निजी परिवहन सहित अन्य प्रकार के एहतियात का कदम उठा सकेगी. कोरोना की महामारी को रोकने के लिए एक्ट के प्रभावी होने पर उसके प्रावधान को नहीं मानने पर सरकार द्वारा धारा 188 के तहत पेनाल्टी लगाया जा सकता है.

कोरोना को लेकर मुख्य सचिव दीपक कुमार की अध्यक्षता में गठित पहली राज्य समन्वय समिति की बैठक सोमवार को आयोजित की गयी. इसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. इसमें राज्य समन्वय समिति ने महामारी एक्ट लागू करने पर भी विचार किया गया. राज्य सरकार इसकी मंजूरी देती है तो कोरोना को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जायेगा. इस एक्ट में प्रावधान है कि महामारी की रोकथाम के लिए सरकार कोई भी महत्वपूर्ण कदम उठा सकती है. सरकार किसी भी समय यह संतुष्ट हो जाये कि राज्य के किसी भी भाग में यह महामारी का रूप ले सकती है और कोई भी कानून इस दिशा में अपर्याप्त है तो इसके लिए कदम उठाया जा सकता है. इसके लिए सरकार नोटिस जारी कर सकती है.

महामारी एक्ट के तहत सरकार किसी भी व्यक्ति को रेल यात्रा या अस्पताल में अलग करके कोरोना के फैलने को रोक सकती है. इसके तहत पेनाल्टी लगाने का अधिकार भी सरकार के पास होगा. इसके अलावा राज्य समन्वय समिति की बैठक में राज्य के अस्पतालों को सेनेटाइज करने का निर्णय लिया गया. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि महामारी एक्ट के प्रावधानों पर विचार किया जा रहा है. मुख्य सचिव ने कहा कि बिहटा के इएसआइ अस्पताल का स्वास्थ्य सचिव के प्रधान सचिव को निरीक्षण करने का निरीक्षण करने का निर्देश दिया. बाहर से आने वाले लोगों को डिटेल्स जानकारी रखे जाने का भी निर्देश दिया.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एलान किया है कि राज्य में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज का पूरा खर्च सरकार वहन करेगी. बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार ने कहा कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज पर होने वाले सारा खर्च का भुगतान मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से राज्य सरकार करेगी.

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