बिहार में सरकार, सरकारी कर्मियों, मंत्रियों, विधायकों और सांसद के खिलाफ सोशल मीडिया (Social Media)व इंटरनेट (Internet) पर आपत्तिजनक टिप्पणी (Objectionable Comment) किये जाने वाले के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जायेगी. इस अधिसूचना के विरुद्ध लोकहित याचिका दायर कर हाइकोर्ट (High court) में चुनौती दी गयी है.
इस तरह की अधिसूचना राज्य के आर्थिक अपराध यूनिट के एडीजी के हस्ताक्षर से जारी की गयी है. याचिका के लंबित रहने तक उक्त सर्कुलर के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का भी हाइकोर्ट से आग्रह किया गया है. याचिका में अन्य बातों के अलावा यह कहा गया है कि क्या जारी किया सर्कुलर भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(2) के अनुरूप है. यह याचिका सुषमा कुमारी व सिद्धार्थ सत्यम ने दायर की है.
याचिका में राज्य सरकार, राज्य के डीजीपी, राज्य के गृह विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी व आर्थिक अपराध यूनिट के एडीजी नय्यर हसनैन खान को प्रतिवादी बनाया गया है. बता दें हाल ही में आर्थिक अपराध इकाई के एडीजी नैयर हसनैन खान ने सभी विभागों के प्रधान सचिव और सचिव को पत्र लिखा था.
इसमे कहा था कि सरकार के किसी मंत्री, सांसद, विधायक या सरकारी अफसर की छवि धूमिल के आरोप में पोस्ट लिखने वालों पर आइटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर भ्रामक और नकारात्मक खबरों पर आपत्ति जताते हुए पुलिस अफसरों को इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.
उन्होंने हाल ही में जल जीवन हरियाली दिवस कार्यक्रम के दौरान सोशल मीडिया के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी. उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद बिहार के तमाम अधिकारी, पदाधिकारियों को यह कहा था कि सरकार के खिलाफ की जाने वाली टिप्पणी का जवाब सोशल मीडिया के जरिए ही विभाग द्वारा किए गए काम की जानकारी देकर करें.
Posted by: Utpal kant