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बिहार सरकार ने बदली नीति, अगले साल से 8वीं तक के स्टूडेंट्स को अब पैसे के बदले देगी मुफ्त किताब

शिक्षा विभाग अगले शैक्षणिक सत्र से कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों को किताबों के पैसे नहीं, बल्कि मुफ्त में किताबें देगा. बच्चों को स्कूल में किताब उपलब्ध कराने की जवाबदेही तय की जा रही है. किताबों के प्रकाशन और उसके वितरण की एजेंसी तय करने के लिए 47 निविदा आयी हैं.

पटना. शिक्षा विभाग अगले शैक्षणिक सत्र से कक्षा एक से आठवीं तक के विद्यार्थियों को किताबों के पैसे नहीं, बल्कि मुफ्त में किताबें देगा. बच्चों को स्कूल में किताब उपलब्ध कराने की जवाबदेही तय की जा रही है. किताबों के प्रकाशन और उसके वितरण की एजेंसी तय करने के लिए 47 निविदा आयी हैं. विभाग ने तय कर लिया है कि वह 1.27 करोड़ किताबें छपवायेगा. किताब छपवाने के लिए निविदाएं मंगलवार को खोली गयी हैं. जल्दी एजेंसी का चयन हो जाने के बाद किताबों की छपाई शुरू हो जायेगी. अगले शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही अप्रैल में अनुमानित नामांकित बच्चों को किताबें बांटी जायेंगी.

1.13 करोड़ किताबें छापी जायेगी

जानकारी के मुताबिक कुल किताबों में 1.13 करोड़ किताबें हिंदी की, 4.69 लाख किताबें उर्दू की और विभिन्न अन्य विषयों की 9.76 लाख किताबें छापी जानी हैं. इसके अलावा बांग्ला की 1557 किताबें प्रकाशित की जायेंगी. इतनी किताबें कुल नामांकित में 70 फीसदी बच्चों की उपस्थिति के हिसाब से छपवाई जा रही हैं. किताबें जिलावार छपवायी जायेंगी. उल्लेखनीय है कि इस वर्ष तक कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के खाते में किताब खरीदने के लिए डीबीटी के जरिये पैसा डाला गया है. अगले शैक्षणिक सत्र से रुपये की जगह बच्चों को किताबें ही दी जायेंगी.

किताब खरीदने के लिए दिया जाता है पैसा

शिक्षा विभाग का मानना है कि वर्तमान व्यवस्था के तहत किताब खरीदने के लिए जो पैसा दिया जाता है, उसका अभिभावक दूसरे कामों में इस्तेमाल कर लेते हैं. इसलिए विभाग ने किताब छपवा कर बच्चों को देने का निर्णय लिया है. बता दें कि अभी बच्चों को डीबीटी के जरिये किताब खरीदने के लिए करीब 450 से 500 करोड़ के राजस्व बीच सालाना दिये जाते रहे हैं.

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