पटना. सरकार मछलीपालन के माध्यम से स्वरोजगार के अवसर को बढ़ावा देने, सामाजिक उत्थान के लिए तालाब के विकास व जीर्णोद्धार योजना के तहत 11 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करेगी़ इसके तहत तालाबों की उड़ाही एवं मत्स्य बीज हैचरी के निर्माण पर मछुआरों एवं मत्स्यपालकों को 50 फीसदी सब्सिडी दी जायेगी़
इसकी खास बात यह है कि योजना का लाभ किसी भी श्रेणी का व्यक्ति ले सकता है़ कोविड के प्रभाव को कम करने के लिए राज्य की इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य मत्स्य उत्पादकता एवं उत्पादन में वृद्धि कर लोगों को लोगों के लिए रोजगार के अवसर मुहैया कराना है़ राज्यवासियों की मछली की जरूरत को पूरा करना है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग का मानना कि बदलते मौसम के कारण तालाबों में पानी घटने से होने वाले नुकसान की भरपाई भी करना है.
योजना की खास बात यह है कि पारंपरिक तरीके से मछलीपालन करने वालों को देशी एवं विदेशी कार्प मछलियों का उन्नत बीज तैयार कराया जायेगा़ याेजना का लाभ लेने के लिए निजी, लीज अथवा पट्टा पर तालाब होना आवश्यक है़ ट्यूबवेल पंप सेट स्कीम का लाभ केवल उनको मिलेगा जिनके पास कम -से -कम 0. 40 एकड़ जल क्षेत्र का तालाब है़ लाभ लेने के लिए पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने चार सितंबर तक आवेदन मांगे हैं.
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री मुकेश सहनी ने पदाधिकारियों काे क्षेत्र में जाकर मत्स्य कृषक एवं मछुआरों से संवाद करने के भी निर्देश दिये हैं. बुधवार को विभागीय पदाधिकारियों बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि सभी अफसर केंद्रीय एवं राज्य योजना के क्रियान्वयन में कोताही नहीं बरतें.
क्षेत्रीय प्रसार पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली पर असंतोष प्रकट करते हुए कहा कि अधिकारी क्षेत्रीय स्तर पर प्रभार के प्रखंडों की पूर्ण जानकारी रखें. विभाग के सभी योजनाओं तथा बंदोबस्ती कार्य पारदर्शी तरीके से करने की नसीहत दी़
बैठक में धर्मेंद्र सिंह निदेशक मत्स्य ने भी पदाधिकारियों को निर्देश दिया. डीएनएस के निदेशक, संयुक्त मत्स्य निदेशक(रापई), दिलीप कुमार सिंह, उप मत्स्य निदेशक, (रापई), पवन कुमार पासवान,उप मत्स्य निदेशक, (साख्यिकी), राशिद फारूकी आदि मौजूद रहे़
Posted by Ashish Jha