पटना. राज्य में पहले चरण में दरभंगा जिले में कुशेश्वरस्थान, वैशाली जिले में बरेला, बेगूसराय जिले में कांवर, कटिहार जिले में गोगा बील सहित 100 हेक्टेयर से बड़े करीब 25 चौरों का कायाकल्प होगा.
यह काम इसी साल शुरू हो जायेगा. इसके बाद चरणबद्ध तरीके से 100 हेक्टेयर से बड़े अन्य 108 चौरों का कायाकल्प भी शुरू होगा.
इसके लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने योजना तैयार की है. इसके तहत सभी चौरों की सफाई होगी.
उसमें लगातार पानी आने वाले जलस्रोतों को हर बाधा से मुक्त किया जायेगा. साथ ही लगातार मेंटेनेंस की व्यवस्था की जायेगी.
सूत्रों का कहना है कि राज्य में गंगा, गंडक, कोसी, सोन सहित अन्य प्रमुख नदियों के आसपास बड़े आकार के करीब 4416 चौर हैं.
इनमें से करीब 133 चौर 100 हेक्टेयर से बड़े आकार के हैं. ये सभी प्राकृतिक हैं. इन चौरों के आसपास बसने वाले जीव-जंतु, पक्षी सहित पेड़-पाैधे बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र को बनाने में सहयोग करते हैं. इससे पर्यावरण शुद्ध और बेहतर होता है.
जमुई जिले में करीब 525 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला नागी-नकटी पक्षी आश्रयणी भी चौरों के विकास का बेहतर उदाहरण बना है. इस क्षेत्र में करीब 136 से अधिक प्रजाति के पक्षियों को देखा गया है.
साथ ही जलीय पक्षियों की आबादी करीब 20 हजार है. ऐसे में जनसहभागिता से इसका विकास कर इलाके में बेहतर पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया गया है.
Posted by Ashish Jha