झारखंड की पांच कंपनियों की संपत्ति बेचेगी बिहार सरकार, जसीडीह औद्योगिक क्षेत्र की हैं ये कंपनियां
झारखंड के जसीडीह औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधि को विस्तार देने के लिए दिये गये कर्ज को चुकाने में कंपनियों ने लापरवाही की और कर्ज नहीं चुकाया. इसके बाद बीएसएफसी ने इन कंपनियों को बेचकर अपने डूबे कर्ज को वापस करने का निर्णय लिया है.
पटना. बिहार सरकार झारखंड में स्थित पांच कंपनियों की संपत्ति नीलाम करेगी. इन कंपनियों ने बिहार सरकार का कर्ज नहीं चुकाया है. राज्य सरकार ने इन कंपनियों की संपत्ति को बेचकर अपनी राशि वसूलने का निर्णय लिया है. दरअसल, बंटवारे से पहले बिहार राज्य वित्त निगम(बीएसएफसी) ने इन कंपनियों को कर्ज दिया था. कर्ज देने के बाद ही राज्य का विभाजन हो गया और यह इलाका बिहार से झारखंड में चला गया.
कर्ज चुकाने में लापरवाह रही कंपनियां
राज्य विभाजन के बाद झारखंड के जसीडीह औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधि को विस्तार देने के लिए दिये गये कर्ज को चुकाने में कंपनियों ने लापरवाही की और कर्ज नहीं चुकाया. इसके बाद बीएसएफसी ने इन कंपनियों को बेचकर अपने डूबे कर्ज को वापस करने का निर्णय लिया है.इन कंपनियों की संपत्ति बेचने के लिए नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने के लिए लोगों से आवेदन मांगे हैं.
इन कंपनियों की संपत्ति बेची जायेगी
जसीडीह औद्योगिक क्षेत्र स्थित शिवा इलेक्ट्राॅनिक्स की 10 हजार वर्गफुट जमीन, शैलजा ऑटोमोबाइल्स की 20 हजार वर्गफुट,पाटलिपुत्र पीवीसी की 10 हजार वर्गफुट और अरोज फार्मास्युटिकल की 10 हजार वर्गफुट जमीन के साथ-साथ देवघर ग्लास की दो एकड़ जमीन है.इन कंपनियों पर बीएसएफसी का करीब 124.57 करोड़ रुपये का बकाया है.नीलामी के लिए बीएसएफसी ने रिजर्व प्राइस रखा निर्धारित किया है.
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कंपनी का नाम संपत्ति का विवरण रिजर्वड प्राइस
वर्गफुट लाख में
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शिवा इलेक्ट्रॉनिक्स 10000 18.15
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शैलजा ऑटोमोबाइल्स 20000 36.30
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पाटलिपुत्र पीवीसी 10000 9.77
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देवघर ग्लास 87120 69.25
बिहार-झारखंड के बंटवारे के बाद से फंसी हुई बीएसएफसी की राशि
बीएसएफसी ने इन कंपनियों की संपत्ति बेचने के लिए सेल नोटिस जारी किया गया है. 2000 में झारखंड राज्य बनने से पहले ही बिहार सरकार ने औद्योगीकरण के विस्तार के लिए इन कंपनियों को बीएसएफसी के जरिए कंर्ज दिया था.यह लोन बीएसएफसी की देवघर शाखा ने दिया था. बीएसएफसी ने लोन वापस करने के लिए लगातार नोटिस देती रही है,लेकिन ये कंपनियां लोन चुकता करने को आगे नहीं आयीं.