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कोरोना काल में भी बिहार सरकार का टैक्स संग्रह रहा बेहतर, 11 प्रतिशत बजट राशि ज्यादा हुई खर्च

वित्तीय वर्ष 2020-21 मार्च समाप्त होने के साथ ही खत्म हो गया. इस बार कोरोना महामारी के दौर में विपरीत परिस्थिति के बाद भी राज्य का वित्तीय प्रबंधन बेहतर रहा है.

पटना. वित्तीय वर्ष 2020-21 मार्च समाप्त होने के साथ ही खत्म हो गया. इस बार कोरोना महामारी के दौर में विपरीत परिस्थिति के बाद भी राज्य का वित्तीय प्रबंधन बेहतर रहा है. इस वजह से राज्य की बजट राशि दो लाख 10 हजार करोड़ रुपये में एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो कुल बजट आकार का करीब 82 प्रतिशत है.

यह खर्च पिछले वित्तीय वर्ष के बजट से 11 प्रतिशत से ज्यादा है. पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य का बजट दो लाख करोड़ के आसपास था, जिसमें एक लाख 55 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए थे.

इस बार राज्य का आंतरिक टैक्स संग्रह भी पिछली बार जितना यानी 40 हजार करोड़ के आसपास रहा है,जबकि वित्तीय वर्ष के शुरुआती महीने से ही कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए करीब नौ महीने का लॉकडाउन लग गया था.

इससे टैक्स संग्रह में पिछले वर्ष की तुलना में 40 से 45 प्रतिशत का शॉर्ट-फॉल दर्ज किया गया था, परंतु बाद में वित्त विभाग की बेहतर मॉनीटरिंग की वजह से टैक्स संग्रह का यह शॉर्ट-फॉल खत्म हो गया और टैक्स संग्रह पिछले वित्तीय वर्ष के समान हो पाया.

वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में कई महत्वपूर्ण आकस्मिक खर्चे हुए हैं. इसमें कोरोना रोकथाम, कोविड-19 टीकाकरण, कोरेंटिन सेंटर समेत ऐसे अन्य जरूरी अव्यवों पर करीब छह हजार करोड़, विधानसभा चुनाव पर करीब एक हजार करोड़ रुपये जैसे बेहद जरूरी खर्च शामिल हैं.

इनके अलावा फसल अनुदान समेत अन्य मामलों पर भी कई अहम खर्च किये गये हैं. फिर भी राज्य में विकासात्मक कार्यों पर 65 फीसदी से ज्यादा राशि खर्च की गयी है. इस वित्तीय वर्ष में योजना आकार मद में करीब एक लाख पांच हजार करोड़ रुपये खर्च का प्रावधान रखा गया था, जिसमें 65 फीसदी से ज्यादा रुपये खर्च हुए, जबकि गैरयोजना मद या स्थापना ए‌वं प्रतिबद्ध व्यय में सौ फीसदी राशि खर्च हुई है.

Posted by Ashish Jha

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