पटना. राज्य में एक तरफ बारिश कम होने से खेती करने में परेशानी हो रही है. सूखे जैसे हालात बनते जा रहे हैं. वहीं, राज्य के करीब 62% सरकारी नलकूप खराब हैं. सरकारी नलकूपों के खराब होने के कई कारण बताये गये हैं. इसके अनुसार कुछ नलकूपों के उपकरण गायब हैं. कुछ नलकूपों के पंप गिर गये हैं. वहीं कई के मोटर खराब पड़ें हुए हैं. ऐसे में मरम्मत के अभाव में नलकूपों के खराब होने से सिंचाई सुविधा नहीं मिल पा रही है. राज्य के इन सभी सरकारी नलकूपों के संचालन और रखरखाव की जिम्मेदारी पंचायतों को ही दी गयी है.
सूत्रों के अनुसार राज्य में सरकारी नलकूप करीब 10 हजार 240 हैं. 21 फरवरी 2022 तक 6376 नलकूप खराब थे. केवल 3864 नलकूपों से सिंचाई का काम हो रहा था. हालांकि अब खराब नलकूपों को जल्द ठीक करने के लिए लघु जल संसाधन विभाग के स्तर पर कार्रवाई शुरू हुई है. अगले दो-तीन महीने में अधिकतर को ठीक कर देने का दावा किया जा रहा है.
समस्तीपुर. डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा केंद्र व भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 16 से 20 जुलाई तक के लिए मौसम पूर्वानुमान जारी किया है. पूर्वानुमान के मुताबिक उत्तर बिहार के जिलों में अगले दो दिनों तक अधिकांश स्थानों पर आमतौर पर मौसम के शुष्क रहने की संभावना है. उसके बाद माॅनसूनी रेखा उत्तर की ओर आने के कारण माॅनसून सक्रिय हो सकता है. 20-21 जुलाई के आसपास उत्तर बिहार के अनेक स्थानों पर अच्छी वर्षा की संभावना है. पूर्वी तथा पश्चिमी चंपारण तथा तराई के अन्य जिलों के कुछ स्थानों पर थोड़ी अधिक वर्षा हो सकती हैं.
लघु जल संसाधन विभाग ने राज्य के नलकूपों को आधुनिक बनाने के लिए नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट में स्काडा योजना के तहत 3156 नलकूपों में मोबाइल पंप कंट्रोलर लगवा दिया है. इसका मकसद पंप ऑपरेटर की जरूरत को खत्म करना और नलकूपों को मोबाइल के माध्यम से ही चालू और बंद करना है. पंचायत के मुखिया की अनुशंसा पर किसी किसान के मोबाइल से किसी नलकूप को जोड़ा गया है. जिस किसान के मोबाइल से यह जुड़ेगा वह घर बैठे ही नलकूप को चालू और बंद कर सकेगा. इससे समय, पानी और बिजली तीनों की बचत होगी. साथ ही वोल्टेज कम या अधिक होने की स्थिति में भी नलकूपों की सुरक्षा हो सकेगी.
अगले दो से तीन महीने में करीब सात से आठ हजार नलकूपों से सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने की योजना पर काम किया जा रहा है. खराब नलकूपों को ठीक करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है. पंचायतों को इसके लिए पैसे दिये गये हैं. करीब 35 जिले में इसे लेकर प्रशासनिक बैठक हो चुकी है.
– डॉ संतोष कुमार सुमन, लघु जल संसाधन मंत्री