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सुलतानगंज-अनुवानी घाट पुल के गार्डर की होगी जांच, लांचिंग के समय में कार्यरत कामगार से होगी पूछताछ

सुलतानगंज-अगुवानी घाट पुल के गिरने के मामले की चल रही जांच के दायरे में अब गार्डर लांचिंग को भी शामिल किया जायेगा और इसमें यह देखा जायेगा कि गार्डर एक-दूसरे से फिट बैठ रहा था या नहीं. कहीं इसमें गैपिंग तो नहीं रह जा रहा था.

भागलपुर: सुलतानगंज-अगुवानी घाट पुल का निर्माण पुल निर्माण निगम के जिस वरीय परियोजना अभियंता के कार्यकाल में शुरू हुआ था, उन्हें न सिर्फ निगम में वापस लाया गया है, बल्कि उनको वर्क सर्किल-2 का डिप्टी चीफ इंजीनियर बनाया गया है. विजय कुमार नामक वरीय परियोजना अभियंता साल 2016 में पुल निर्माण निगम के विशेष कार्य प्रमंडल, खगड़िया में थे, तभी गंगा पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था. वहां से उनका स्थानांतरण साल 2021 में भागलपुर हुआ था. वे वहां लगभग पांच साल तक कार्यरत थे. भागलपुर स्थानांतरण के कुछ माह बाद ही उनकाे बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉर्पोरेशन लिमिटेड में भेज दिया था. अब पुन: उन्हें पुल निर्माण निगम में बड़े पद पर लाया गया है. इधर, सुलतानगंज-अगुवानी घाट पुल के गिरने के मामले की चल रही जांच के दायरे में अब गार्डर लांचिंग को भी शामिल किया जायेगा और इसमें यह देखा जायेगा कि गार्डर एक-दूसरे से फिट बैठ रहा था या नहीं. कहीं इसमें गैपिंग तो नहीं रह जा रहा था. गोपिंग अगर रहता था, तो मेटेरियल डाल कर कहीं भर तो नहीं दे रहा था. इस मामले की पूरी जांच होगी.

गार्डर लांचिंग के समय में कार्यरत कामगार से होगी पूछताछ

बताया जाता है कि गार्डर लांचिंग के समय में जो कामगार कार्यरत थे, उनसे भी पूछताछ होगी. दरअसल, पुल गिरने के बाद यह सवाल उठा था कि पुल के पीलर पर जब गार्डर रखा जा रहा था, तो वह एक-दूसरे से सट नहीं रहा था. मशाला डालकर गोपिंग को भरने का काम हुआ था. इसके अलावा पुल के पिलर के डेप्थ की भी जांच होगी. प्राक्कलन के मुताबिक गंगा में कितनी गहरायी में पीलर के लिए बोरिंग करायी गयी है, यह देखा जायेगा. ज्ञात हो कि सुलतानगंज-अगुवानी घाट पुल दूसरी बार बीते चार जून को धराशायी हो गयी थी. इससे पहले हावा के झोंके में पुल गिरा था. पहली बार जब पुल गिरा था, तो इसकी जांच अभी पूरी नहीं हो सकी है. आईआईटी रुड़की की उस रिपोर्ट का भी इंतजार है, जो पुल के जांच से जुड़ी है.

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पुल निर्माण से जुड़े अधिकारियों की कार्यशैली की भी होगी जांच

पुल निर्माण से जुड़े अधिकारियों के कार्यशैली की भी जांच होगी. बताया जाता है कि क्वालिटी कंट्रोल इंजीनियर की भूमिका की भी जांच होगी. यही नहीं, सुपरविजन कंसल्टेंट से लेकर सुपरवाइजर के कार्यों को भी जांच के दायरे में लाया जायेगा.

हवा के झोंके से पुल गिरने के बाद भी निर्माण पर नहीं लगी थी रोक

अगुवानी घाट-सुल्तानगंज पुल 2019 में ही बनकर तैयार होना था. पिछले साल 29 अप्रैल की रात आंधी आने के कारण पिलर संख्या 4, 5 और 6 को जोड़ने वाला सुपरस्ट्रक्चर गिर गया था. इसके बाद एक साल के लिए डेडलाइन को बढ़ा दिया गया. बाद में फाइनल डेडलाइन दिसंबर 2023 कर दिया गया. यानी, काम शुरू हो गया था. तब आम नागरिकों से लेकर अफसरों के बीच तक यह चर्चा होती रही थी कि जो पुल हवा के झोंके से गिर सकता था, तो ट्रक का लोड लेने लायक कितना सक्षम होगा. बावजूद, इसके निर्माण पर रोक नहीं लगाया गया. यही नहीं, जांच रिपोर्ट आने तक का भी इंतजार नहीं किया गया और काम शुरू करा दिया गया था.

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