EXCLUSIVE: बिहार के हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापक बहाली प्रक्रिया होगी सरल! नए फार्मूले से भरे जाएंगे पद..

बिहार के हाईस्कूलों में अब प्रधानाध्यापक नियुक्ति का पैटर्न बदल दिया जाएगा. इसका प्रस्ताव शिक्षा विभाग ने बीपीएससी को भेज दिया है. अब बहाली प्रक्रिया सरल हो जाएगी. निगेटिव मार्किंग से लेकर परीक्षा के समय में बदलाव तक की तैयारी चल रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2022 9:48 AM

राजदेव पांडेय, पटना: सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों की बहाली प्रक्रिया सरल होगी. बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा ली जा रही परीक्षा में अब माइनस मार्किंग का प्रावधान हट जायेगा. साथ ही परीक्षा की डेढ़ घंटे की समय सीमा में भी बढ़ोतरी होगी. शिक्षा विभाग ने इस संबंध में बिहार लोक सेवा आयोग को अपनी सिफारिश भेजेगा. विभाग के प्रस्ताव को बिहार लोक सेवा आयोग ने मान लिया तो अगले महीने होने वाली प्रधानाध्यपकों की नियुक्ति परीक्षा में गलत उत्तरों के लिए नंबर नहीं काटे जायेंगे. साथ ही परीक्षार्थियों को डेढ़ घंटे से अधिक समय भी मिल सकेगा.

क्या है विभाग की चिंता

दरअसल विभाग की चिंता पिछले दिनों आयोग की ओर से 6421 प्रधानाध्यापकों की नियुक्ति के लिए ली गयी परीक्षा में सिर्फ 421 के ही सफल हो पाने को लेकर है. इस तरह प्रधानाध्यापकों की छह हजार से अधिक रिक्तियां बाकी हैं. ऐसे में बड़े पैमान पर अभ्यर्थियों के असफल हो जाने के कारण आयोग कोदोबारा विज्ञापन जारी करना पड़ा है. इसके लिए जल्दही परीक्षा होगी.

नवंबर तक होनी है बहाली

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक प्रधानाध्यापक पद पर बिहार लोक सेवा आयोग की तरफ से चयनित और अनुशंसित अभ्यर्थियों की स्कूलों में नियुक्ति हर हाल में नवंबर अंतिम सप्ताह में हो जायेगी. लोक सेवा आयोग से जरूरी तकनीकी जानकारियां विभाग को मिल चुकी हैं. विभाग चयनित अभ्यर्थियों की काउंसेलिंग कराने के बाद उनकी तैनाती कर देगा.

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माइनस मार्किंग को हटाने की तैयारी

शिक्षा विभाग माध्यमिक स्कूलों के प्रधान अध्यापकों की नियुक्ति के लिए पहले से तय परीक्षा स्वरूप में बदलाव करने की अनुशंसा के साथ ही माइनस मार्किंग को हटाना चाहता है. विभागीय मंशा है कि बिहार लोक सेवा आयोग जिस तरह दूसरी परीक्षाएं लेता है, वैसी ही परीक्षा प्रधान अध्यापकों की भी ली.

दो घंटे की हो सकती है परीक्षा

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक विभाग प्रधान अध्यापकों की परीक्षा के समय में भी इजाफा चाहता है. हाल में ली गयी परीक्षा का समय मात्र डेढ़ घंटे था. इसे दो घंटे से अधिक करने का प्रस्ताव है. इसके अलावा विभाग परीक्षा प्रक्रिया से खुद को अलग करना चाहता है, ताकि बिहार लोक सेवा आयोग पूरी स्वतंत्रता/ स्वायत्ता के साथ परीक्षा करा सके. इसके अलावा वह कुछ अन्य प्रस्तावों के साथ सुधारों की अनुशंसा बिहार लोक सेवा आयोग को करने जा रहा है. इस तरह शिक्षा विभाग परीक्षा की तकनीकी विसंगतियों कोदूर कराना चाहता है.

प्रधान शिक्षकों के लिए भी लेनी है परीक्षा

बिहार के प्राइमरी स्कूलों के लिए प्रधान शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी जारी है. इसकी परीक्षा भी बिहार लोक सेवा आयोग को लेनी है. प्रधान शिक्षकों के 40 हजार पदों के लिए यह परीक्षा ली जानी है. हालांकि इसकी परीक्षा की तिथि घोषित नहीं हुई है. सामान्य वर्ग के लिए 16204 पदहैं. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 4048, एससी के लिए 6477, एसटी के लिए 418, इबीसी के लिए 7290, बीसी के लिए 4861 और बीसी महिला के लिए 1210 पद आरक्षित हैं. दिव्यांग के लिए भी चार प्रतिशत सीट आरक्षित है.

महज तीन फीसदी शिक्षक ही हो सके थे पास

उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के पदों पर नियुक्ति के लिए बीते 31 मई को पटना के 25 केंद्रों पर लिखित वस्तुनिष्ठ परीक्षाहुई थी. परीक्षा में 13055 अभ्यर्थी शामिल हुए थे, लेकिन इनमें से 12547 अभ्यर्थी न्यूनतम क्वालिफाइंग मार्क्स भी प्राप्त नहीं कर पाये थे. 87 अभ्यर्थी तो अपने ओएमआर सीट पर अपना प्रश्न पुस्तिका शृंखला भी ठीक से अंकित नहीं कर पाये थे. इसके कारण उनके ओएमआर सीट का मूल्यांकन ही नहीं हो सका और उन्हें रद्द करना पड़ा.

महज 3.22% ही क्वालिफाइंग अंक लाने में सफल

इस परीक्षा में केवल 421 अभ्यर्थी ही इस परीक्षा में क्वालिफाइंग अंक लाने में सफल रहे थे. ये कुल आवेदकों के महज 3.22% ही थे जबकि आठ से 12 साल तक का शैक्षणिक अनुभव रखने वाले शिक्षकों को ही इस परीक्षा में शामिल होने का मौका मिला था.

बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक  बोले

उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक नियुक्ति को लेकर हमारे पास अब तक परीक्षा के समय या मार्किंग पद्धति में परिवर्तन आदि के संबंध में कोई भी प्रस्ताव नहीं आया है. विभाग का मंतव्य प्राप्त होगा तो आयोग उस पर विचार कर आगे का निर्णय लेगा.

-अमरेंद्र कुमार,

सचिव सह परीक्षा नियंत्रक, बीपीएससी

Posted By: Thakur Shaktilochan

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