पटना. प्रदेश के पारंपरिक विश्वविद्यालयों के वित्तीय प्रशासन से जुड़ी विसंगतियों को सुलझाने में शिक्षा विभाग के पसीने छूट रहे हैं. ऐसी ही एक विसंगति में उसने पाया है कि 11 अप्रैल, 2017 से 31 मार्च, 2019 तक की अवधि में अतिरिक्त वित्तीय व्यय के प्रतिवदेन विश्वविद्यालयों ने अब तक उपलब्ध ही नहीं कराये हैं. कुछ एक विश्वविद्यालयों ने उपलब्ध कराये भी हैं, वे आधे अधूरे हैं.
लिहाजा उच्च शिक्षा निदेशालय ने इस संदर्भ में संबंधित आठ विश्वविद्यालयों को प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है. इस मामले को वित्त विभाग ने भी संज्ञान में लिया है. आधिकारिक जानकारी के मुताबिक मगध विश्वविद्यालय, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, बीएन मंडल विश्वविद्यालय,तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय ,पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पूर्णिया विश्वविद्यालय और मुंगेर विश्वविद्यालयों के कुल सचिवों को इस संदर्भ में विशेष फरमान जारी किये गये हैं.
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मगध विश्वविद्यालय ने बकाया पेंशनांतर के लिए वांछित राशि के साथ शिक्षा विभाग को नाम वार विवरणी उपलब्ध नहीं करायी है.
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बीआरए बिहार विवि एवं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय ने निश्चित समयावधि में कार्यरत शिक्षकेतर कर्मियों के बकाया वेतनांतर के मद से जुड़ा प्रतिवेदन नहीं दिया.
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बीएम मंडल विवि ने कार्यरत शिक्षकेतर कर्मियों के वेतनांतर दम के प्रतिवेदन के साथ-साथ पेंशनांतर मद की नामवार सूची भी नहीं दी है.
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तिलका मांझी भागलपुर विवि ने पेंशनांतर एव उपादान की विवरणी नहीं सौंपी.
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पाटलिपुत्र विवि के प्रस्तावों से यह साफ नहीं हो रहा है कि विश्वविद्यालय के बकाये वेतनांतर अथवा बकाया सेवांत लाभ में अलग-अलग कितनी राशि की आवश्यकता है,जबकि वेतनांतर और पेंशनांतर के लिए अलग-अलग राशि एवं नाम वार विवरणी की आवश्यकता होती है.
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पूर्णिया विश्वविद्यालय तथा मुंगेर विश्वविद्यालय ने सक्षम प्राधिकार से अनुमोदित कोई भी प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं कराया है.
Posted by: Radheshyam Kushwaha