पटना. परिवार नियोजन को लेकर बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित कार्यशाला में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-6) में मानकों में सुधार का संकल्प लिया गया. स्वास्थ्य विभाग के मंत्री मंगल पांडेय व अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने सभी जिलों के प्रतिनिधियों को इस चुनौती को पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया. इसमें राज्य का प्रजनन दर में सबसे कम गिरावट को लेकर चिंता व्यक्त की गयी और जिलों को मिशन मोड में प्रजनन दर को दो पर लाने का टास्क दिया गया. इसके साथ ही परिवार नियोजन के कार्यक्रमों को गहनता से चला कर जनसंख्या नियंत्रण की बात की गयी.
राज्य परिवार कल्याण संस्थान, पटना में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि प्रजनन दर को तीन से नीचे लाने के लिए चुनौती है, पर जब पश्चिम बंगाल इस लक्ष्य को हासिल कर सकता है तो बिहार क्यों नहीं. उन्होंने कहा कि इसको लेकर कुछ नवाचार करने की आवश्यकता है तो वह पहल भी होनी चाहिए. प्रति हजार की आबादी पर 170 दंपती होते हैं, जिनके बीच जाकर परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रचार प्रसार करना है और अंतरा की सूई को प्रोत्साहित करना है.
आशा को यह बताना है कि वह अगर किसी दंपती को एक सूई लगाती है तो उसे 100 रुपये प्रोत्साहन के रूप में मिलता है. ऐसे में आशा की आय भी प्रतिमाह अतिरिक्त एक हजार बढ़ायी जा सकती है. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि अन्य राज्यों की तुलना में बिहार के परिवार कल्याण के आंकड़ों में बड़ा गैप है. मुख्यमंत्री जितनी यात्राएं करते हैं, उनमें कम उम्र की शादी को लेकर चर्चा करते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के प्रजनन दर में सिर्फ 0.6 की गिरावट दर्ज की गयी है, जो चिंता की बात है. इसे अगले सर्वे में हर हाल में सुधार करना है.
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इस गैप को मिशन मोड में काम करके पूरा किया जा सकता है. कार्यपालक निदेश संजय सिंह ने भी कहा कि इसे सामुदायिक स्तर पर काम करके सभी मानकों में सुधार लाना है. परिवार कल्याण कार्यक्रम के परामार्शी डॉ एसके सिकदर ने बिहार में चलाये जा रहे कार्यक्रमों का राष्ट्रीय स्तर पर दिखने वाली स्थिति की तुलनात्मक प्रेजेंटेशन दिया. इस अवसर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रमंडल और जिलों के वरीय स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों को मंत्री पांडेय द्वारा प्रतीक चिह्न प्रदान किया गया.