बिहार इस वर्ष हो जायेगा कालाजार से मुक्त, सरकार का फाइलेरिया से मुक्ति के लिए लक्ष्य निर्धारित
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि राज्य में कालाजार और फाइलेरिया पर नियंत्रण इस वर्ष (2021) में करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसको लेकर 30 दिसंबर, 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्धन ने भी कई राज्यों के साथ गहन चर्चा की थी.
पटना. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने बताया कि राज्य में कालाजार और फाइलेरिया पर नियंत्रण इस वर्ष (2021) में करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसको लेकर 30 दिसंबर, 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्धन ने भी कई राज्यों के साथ गहन चर्चा की थी.
उन्होंने बताया कि राज्य की गरीब आबादी कालाजार, कुष्ठरोग व हाथीपांव जैसी बीमारियों से पीड़ित है. सर्प दंश और रैबीज जैसी बीमारियों से भी लोग प्रभावित होते हैं. इन सभी बीमारियों को नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज (एनटीडी) की श्रेणी में रखा गया है.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यक्रमों के माध्यम से इन सभी बीमारियों पर नियंत्रण पाया जायेगा. स्वास्थ्य मंत्री ने विश्व एनटीडी दिवस के मौके पर शुक्रवार को आयोजित संवाद में कहा कि दुनिया में हर पांच में से एक व्यक्ति इस प्रकार की बीमारी से पीड़ित होता है.
उन्होंने बताया कि कालाजार प्राचीन रोग है. इसके उन्मूलन को लेकर सरकार द्वारा प्राथमिकता दी गयी है. इस बीमारी के कारण मरीज गरीबी के चक्र में फंस जाता है. राज्य सरकार द्वारा बिहार में कालाजार मरीजों को इलाज के साथ दैनिक मजदूरी देने का भी प्रावधान किया है.
इस अवसर पर निदेशक प्रमुख (रोग नियंत्रण) डाॅ नवीन चंद्र प्रसाद ने बताया कि एनटीडी दुर्बल व जीवन को प्रभावित करनेवाले रोगों का एक समूह है. यह गरीब व कमजोर आबादी को प्रभावित करता है. इस बीमारी के इलाज के बाद भी कई लोगों की मौत और विकलांगता हो जाती है.
डब्ल्यूएचओ के राज्य को-ऑर्डिनेटर डाॅ राजेश पांडेय और राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ एमपी शर्मा ने बताया कि इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए गांवों तक प्रयास किया जा रहा है.
Posted by Ashish Jha