पटना. बिहार में अब तेजी से ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ता जा रहा है़ दूसरी ओर मांग में भी कमी दर्ज की गयी है. कोविड की दूसरी लहर शुरू होने तक बिहार में मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन नगण्य था, लेकिन इस बीच मेडिकल ऑक्सीजन के लिए मचे हाहाकार के दौरान सरकार के प्रयासों से निजी क्षेत्र में अब 46 टन रोजाना मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है. यह पूरा उत्पादन एयर सेप्रेशन यूनिट के जरिये हो रहा है. बिहटा की यूनिट भी इसी माह कभी भी शुरू हो जायेगी तो उत्पादन क्षमता 51 टन हो जायेगी.
प्रदेश में 18 मई तक 214 टन मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की गयी. इसमें 46 टन स्थानीय स्तर पर आधारित थी. इस तरह 18 मई तक केंद्रीय कोटे से केवल 168 टन मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. केंद्र से प्रदेश का मेडिकल ऑक्सीजन का कोटा 274 टन हो चुका है.
इन दिनों उद्योग विभाग केंद्रीय कोटे की समूची ऑक्सीजन उठाने के लिए अपनी स्टारेज क्षमता बढ़ाने में लगा है. इसके लिए वह सबसे बड़ा प्रयास हाजीपुर में करने जा रहा है़ सरकार यहां एक विशेष एजेंसी के जरिये कारखाना लीज पर ले रही है. यहां मेडिकल ऑक्सीजन के 1500 सिलिंडर रोजाना भरे जायेंगे. यह कवायद मई माह में पूरी हो जायेगी.
इसके अलावा बियाडा प्रदेश के दस विशेष अनुमंडलीय अस्पातालों में दस विशेष प्लांट लगाने जा रहा है़ विभाग के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पंद्रह जून तक यहां भी पीएसए यूनिट चालू हो जायेगी़ इसके अलावा प्रदेश सरकार ने इस आपदा में खुद के मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन के लिए एक औद्योगिक पॉलिसी भी बना डाली है़
उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव बृजेश मेहरोत्रा ने बताया कि प्रदेश में मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन के प्रयास अब दिखने लगे हैं. बिहटा का प्लांट चालू होते ही प्रदेश के अंदर मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता 51 टन हो जायेगी. इसके अलावा हम लगातार अपने संसाधनों से मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाने में लगे हैं. केंद्र ने हमारा कोटा बढ़ा दिया है़ स्थिति सुधरने से मांग भी कम हुई हैं.
Posted by Ashish Jha